यदि आग्रह से काम न बने तो फिर भय से काम निकाला जाता है : नवजीत भारद्वाज

by Sandeep Verma
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जालंधर: मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नजदीक लम्मां पिंड चौक में मां बगलामुखी जी के निमित्त श्रृंखलाबद्ध दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन मंदिर परिसर में मां बगलामुखी धाम के संचालक एवं संस्थापक नवजीत भारद्वाज की देख-रेख में हुआ। सर्व प्रथम मुख्य यजमान सुक्ख एवं समीर कपूर से वैदिक रीति अनुसार गौरी गणेश, नवग्रह, पंचोपचार, षोडशोपचार, कलश, पूजन उपरांत ब्राह्मणों ने आए हुए सभी भक्तों से हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई। मां बगलामुखी जी के निमित्त भी माला मंत्र जाप एवं हवन यज्ञ में विशेष रूप आहुतियां डाली गई। हवन-यज्ञ की पूर्णाहुति के उपरांत धाम के सेवादार नवजीत भारद्वाज जी ने आए हुए भक्तों से रामचरितमानस के बारे में व्याख्यान करते हुए कहते है कि प्रभु श्रीराम का जीवन आदर्श और कर्तव्यों पर आधारित है इसलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। प्रभु श्रीराम के जीवन से उनके आदर्शों को सीखने का संदेश देते हुए नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि लंका चढ़ाई के समय श्रीराम ने विनयपूर्वक समुद्र से मार्ग देने की गुहार लगाई। समुद्र से आग्रह करते हुए श्रीराम को तीन दिन बीत गए। लेकिन समुद्र का उस पर कोई प्रभाव नहीं हुआ, तब भगवान राम समझ गए कि अब अपनी शक्ति से उसमें भय उत्पन्न करना अनिवार्य है। वहीं लक्ष्मण तो पहले से ही आग्रह के पक्ष में नहीं थे, क्योंकि वे श्रीराम के बाण की अमोघ शक्ति से परिचित थे। वे चाहते थे कि उनका बाण समुद्र को सुखा दे और सेना सुविधा से उस पार शत्रु के गढ़ लंका में पहुंच जाए।नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि इस घटना को श्री रामचरित मानस में तुलसी दास ने समुद्र को जड़ बताते हुए इस प्रकार लिखा है –IMG 20240118 WA0110

*विनय न मानत जलधि जड़, गए तीनि दिन बीति।*
*बोले राम सकोप तब, भय बिनु होइ न प्रीति।।*
नवजीत भारद्वाज इस दोहे का अर्थात् समझाते हुए कहते है कि प्रभु श्रीराम समुद्र के चरित्र को देखकर ये समझ गए कि अब आग्रह से काम नहीं चलेगा, बल्कि भय से काम होगा। तभी श्रीराम ने अपने महा- अग्निपुंज- शस्त्र का संधान किया, जिससे समुद्र के अन्दर ऐसी आग लग गई कि उसमें वास करने वाले जीव-जन्तु जलने लगे। तब समुद्र प्रभु श्रीराम के समक्ष प्रकट होकर हाथ में अनेक बहुमूल्य रत्नों का उपहार ले अपनी रक्षा के लिए याचना करने लगा और कहने लगा कि वह पंच महाभूतों में एक होने के कारण जड़ है। अत: श्रीराम ने शस्त्र उठाकर उसे उचित सीख दी। रामायण की कथा से हमें यह सीख मिलती है कि यदि आग्रह से जब काम न बने तो फिर भय से काम निकाला जाता है।
इस अवसर पर श्वेता भारद्वाज, पूनम प्रभाकर,सरोज बाला,राकेश प्रभाकर अवतार सैनी,एडवोकेट राज कुमार,जानू , रिंकू सैनी ,बलजिंदर सिंह, अजीत कुमार,गौरी केतन शर्मा,अमन सुक्खा,अमरजीत सिंह,चेतन , मुनीश,हरश ,मोंटी, नवदीप, उदय,अजीत कुमार,मुनीश शर्मा, दिशांत शर्मा,अमरेंद्र कुमार शर्मा, मानव शर्मा, शंकर,हंस राज,बावा खन्ना, विवेक शर्मा, शाम लाल, बावा जोशी ,मंदिप ,राजेश , रविन्द्र ,अशोक,अमित, विनोद खन्ना,अभिलक्षय चुघ,सुनील,राजीव, राजन शर्मा, प्रिंस, ठाकुर बलदेव सिंह,दिनेश शर्मा, अजय,अजय मल्होत्रा, विक्की ,अजीत साहू,प्रवीण, दीपक ,अनीश शर्मा, दिशांत शर्मा,विजय,सौरभ,मान, किंवीन शर्मा , मुनीश मैहरा,बलदेव राज ,साहिल,दीपक,सुनील जग्गी सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।
आरती उपरांत प्रसाद रूपी लंगर का भी आयोजन किया गया

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