जालंधर : शिरोमणी अकाली दल के वरिष्ठ नेता डाॅ. दलजीत सिंह चीमा ने आज कहा है कि सिख नौजवानों पर एन.एस.ए लगाने तथा पंजाब में केंद्र फोर्स को लगाकर राज्य की राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनामी करवाने का शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी द्वारा विरोध करना हर तरह से जायज है।
प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए डाॅ. चीमा ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान को इस बात की तकलीफ हो रही है कि शिरोमणी कमेटी के अध्यक्ष साहिब द्वारा मुख्यमंत्री द्वारा किए जा रहे पंजाब विरोधी कदमों का विरोध किया जा रहा है। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री ने पहले दावा किया था कि कोई भी सिख नौजवान गिरफ्तार नही किया गया पर जब श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने सरकार को चेतावनी दी तो सरकार ने स्वयं सिंह साहिब को जानकारी दी कि 348 सिख नौजवान रिहा कर दिए गए हैं। उन्होने कहा कि जब रिहाई की बात सरकार ने मानी है तो मुख्यमंत्री बताए कि झूठा कौन है ? डाॅ.चीमा ने कहा कि मुख्यमंत्री शिरोमणी कमेटी के अध्यक्ष द्वारा किए जा रहे चुनाव प्रचार का विरोध कर रहे हैं, पर वह यह बताएं कि संविधान में कहां लिखा है कि शिरोमणी कमेटी प्रधान चुनाव प्रचार नही कर सकता। उन्होने कहा कि शिरोमणी कमेटी प्रधान का विरोध करने की मुख्यमंत्री की दलीलों को उन्हे लोगों के सामने रखना चाहिए। मुख्यमंत्री ने शिरोमणी अकाली दल का इतिहास याद करवाते हुए डाॅ. चीमा ने बताया कि शिरोमणी अकाली दल की नींव गुरुद्वारा सुधार लहर से रखी गई थी। उन्होने मुख्यमंत्री को चाबियों के मोर्चें की सफलता तथा महात्मा गांधी द्वारा की गई टिप्पणियों को भी पढ़ना चाहिए। उन्होने मुख्यमंत्री को यह भी बताया कि मास्टर तारा सिंह शिरोमणी कमेटी के अध्यक्ष तथा अकाली दल के अध्यक्ष रहे हैं। उन्होने यह भी बताया कि जत्थेदार मोहन सिंह नागोके भी अकाली दल अध्यक्ष तथा श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार भी रहे हैं। उन्होने बताया कि जत्थेदार गुरचरण सिंह टोहड़ा मैंबर राज्य सभा भी रहे तथा शिरोमणी कमेटी के 27 साल प्रधान रहे । वरिष्ठ अकाली नेता ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री समझते हैं कि वह सिख विरोधी काम करेंगें तो शिरोमणी कमेटी का प्रधान चुप बैठेगा, तो यह उनके मन का वहम है। उन्होने मुख्यमंत्री को हरियाणा में अलग गुरुद्वारा कमेटी बनाने के मामले में आप पार्टी की सरकार द्वारा निभाई भूमिका भी याद करवाई तथा बताया कि भगवंत मान सरकार द्वारा दायर हलफनामा ही शिरोमणी कमेटी को बांटने का आधार बना है तथा इसका सिखों द्वारा इसका विरोध करना स्वाभाविक है।