जालंधर : डिप्टी कमिश्नर जसप्रीत सिंह ने आज कहा कि जिला पटियाला से भेजे गए सूअरों के सैँपलोँ में आई.सी.ए.आर.-राष्ट्रीय उच रक्षा पशु रोग संस्थान, भोपाल द्वारा अफ्रीकन स्वाइन फीवर (ए.एस.एफ.) की पुष्टि होने के बाद पूरे पंजाब को “कंट्रोलड क्षेत्र” घोषित कर दिया गया है ताकि स्वाइन फीवर की रोकथाम, नियंत्रण और खातमें को सुनिश्चित किए जा सके। उन्होंने कहा कि इस संबंध में पशुपालन विभाग की ओर से एक अधिसूचना भी जारी की गई है, जिस के अनुसार किसी भी सुअर या इस से संबंधित सामान के अंतर-राज्यीय यातायात पर रोक लगाई गई है। उन्होंने कहा कि जालंधर जिले में अभी तक अफ्रीकन स्वाइन फीवर का कोई मामला सामने नहीं आया है और मनुष्योँ को इस बीमारी का कोई खतरा नहीं है। जसप्रीत सिंह ने बीमारी के कारणों के बारे मेँ जानकारी देते हुए कहा कि पालतू सूअरों में यह बीमारी एक वायरस के कारण होती है, जो जंगली सूअरों से सीधे संपर्क के माध्यम से, जंगली सूअरों से चिचडों के माध्यम से पालतू सूअरों में, बीमार सूअर से आगे स्वस्थ सूअर में और वेसट खाने से (जिसमें सूअर का कच्चा मांस हो) से हो सकती है। उन्होंने सुअर पालकोँ को रोग के लक्षणों की जानकारी देते हुए कहा कि सूअरों को बुखार, भूख न लगना, सांस लेने में कठिनाई, नाक और आंखों में से पानी बहना, त्वचा पर लाल/नीले/बैंगनी रंग के चकत्ते, उल्टी, लड़खड़ाना, मल दवार और नाक से खून बहना इस बिमारी के लक्षणों मेँ शामिल हैँ। डिप्टी कमिश्नर ने सुअर पालकोँ से सावधानी बरतने का आग्रह करते हुए कहा कि यदि सूअरों में उपरोक्त लक्षण दिखाई दें या शक होने पर तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सा संस्थान से संपर्क किय़ा जाए। फारम में जैव सुरक्षा का सख़्ती से पालन करने के साथ-साथ सूअरों को व्यर्थ पदार्थ डालने से गुरेज़ किया जाए या व्यर्थ पदार्थ को 30 मिनट तक उबालने के बाद सूअरों को डाला जाए। इसके अलावा स्वस्थ सूअरों को क्लासिकल स्वाइन फीवर का टीका लगाया जाना चाहिए।