जालंधर : सर्वहितकारी शिक्षा समिति के मुख्यालय विद्या धाम में विद्या भारती उत्तर क्षेत्र की तीन दिवसीय कार्यशाला 12 जुलाई को दीप वंदना के साथ सायं 7 बजे प्रारंभ हुई | इस कार्यशाला में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन पर विचार विमर्श किया जाएगा | उद्घाटन सत्र में विद्या भारती उत्तर क्षेत्र के महामंत्री देशराज शर्मा ने सभी का मार्गदर्शन करते हुए कहा – अनेक शिक्षाविदों से अनेकों बार चर्चा के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का वर्तमान स्वरुप पिछले तीन वर्षों से हमारे सामने है | अब हम सबको मिलकर इसके अनुरूप शिक्षा व्यवस्था का निर्माण करना होगा | इसके लिए सर्वप्रथम आवश्यक है कि इस शिक्षा नीति के अनुरूप पुस्तकों का लेखन किया जाए क्योंकि पुरानी पुस्तकों के आधार पर इस शिक्षा नीति को लागू करना संभव नहीं होगा | इसके लिए अनेक कार्यशालाओं के आयोजन के फलस्वरूप विद्या भारती उत्तर क्षेत्र द्वारा 86 पुस्तकों का प्रकाशन किया जा चुका है | अभी भी इस दिशा में कार्य जारी है | अपने भाषण में महामंत्री ने आगे कहा कि शिक्षा को सर्वस्पर्शी व समावेशी बनाना है जिसमें समाज के प्रत्येक मत, संप्रदाय, वर्ग, जाति के लोगों को अपने साथ जोड़ना है | महिलाओं को विशेष रूप से अपने साथ जोड़ना है | इसके लिए सतत प्रशिक्षण की योजना के साथ शैक्षिक मूल्यांकन की भी योजना बनानी होगी | तभी हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे | आगे महामंत्री देशराज ने कहा कि विद्या भारती का कार्य ‘समयदानी कार्यकर्ताओं’ के बल पर यहां तक पहुंचा है परंतु समयदानी कार्यकर्ताओं की संख्या अभी भी आवश्यकता के अनुसार बहुत कम है | इस संख्या को दुगुना करने की आवश्यकता है |देशराज शर्मा के उद्बोधन के बाद पिछली क्षेत्रीय साधारण सभा कार्यवाही की समीक्षा के बाद ॐ ध्वनि से उसको पारित किया गया | उल्लेखनीय है कि इस कार्यशाला में जम्मू, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली से चयनित 55 शिक्षाविदों को बुलाया गया था | तीन दिनों तक विचार मंथन के उपरांत प्राप्त निष्कर्षों को इन पाचों प्रांतों के एक हजार से भी अधिक विद्या मंदिरों में लागू किया जाएगा | इस कार्यशाला में दिल्ली से अशोक पाल, कुरुक्षेत्र से सुरेंद्र अत्री, विजय नड्डा, बाल किशन, तलवाड़ा से देशराज शर्मा, जालंधर से हर्ष कुमार, राजेंद्र, ठाकुर विजय पठानकोट से मेजर जनरल सुरेश खजूरिया शिमला से ज्ञानचंद आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे |







