“फौजा सिंह ने न केवल अपने अद्वितीय साहस और दृढ़ निश्चय से खेल जगत में भारत का गौरव बढ़ाया : राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया

by Sandeep Verma
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जालंधर : दुनिया के सबसे उम्रदराज एथलीट फौजा सिंह (114) पंचतत्व में विलीन हो गए। पंजाब के जालंधर स्थित उनके पैतृक गांव ब्यास पिंड में उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। उनके बेटों ने उन्हें मुखाग्नि दी। सुबह 9 बजे से दोपहर साढ़े 12 बजे तक शव को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था, जिसके बाद अंतिम यात्रा उनके घर से गांव के श्मशान घाट तक निकाली गई। इसके बाद गांव के श्मशान घाट पर संस्कार किया गया। इस अंतिम रस्म पर मुख्यमंत्री भगवंत मान, राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया समेत कई नेता श्रद्धांजलि देने पहुंचे। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से भी परिवार को शोक संदेश भेजा गया पत्रकारों से बातचीत करते हुए सीएम ने कहा कि गांव के स्टेडियम में फौजा सिंह का बुत स्थापित किया जाएगा। आप को बता दें कि 114 साल की उम्र के एथलीट फौजा सिंह को उनके घर से 120 मीटर की दूरी पर हाईवे क्रॉस करते हुए फॉर्च्यूनर सवार एनआरआई अमृतपाल सिंह ढिल्लों (27) ने टक्कर मार दी थी। इसमें वह बुरी तरह जख्मी हो गए थे और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी वहीं राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने फौजा सिंह के पैतृक गांव ब्यास का दौरा किया और नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान राज्यपाल कटारिया ने कहा, “फौजा सिंह ने न केवल अपने अद्वितीय साहस और दृढ़ निश्चय से खेल जगत में भारत का गौरव बढ़ाया, बल्कि उन्होंने समाज सेवा के क्षेत्र में भी अनुकरणीय योगदान दिया। उनके जीवन से युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए।”फौजा सिंह, जिन्हें दुनिया ‘रनिंग सिख’ के नाम से जानती है, ने उम्र के सैकड़ों पड़ाव पार करने के बावजूद दौड़ को अपना जुनून बनाए रखा। 100 वर्ष की उम्र में भी उन्होंने मैराथन पूरी कर पूरी दुनिया को चौंका दिया। लेकिन उनका योगदान सिर्फ खेल तक सीमित नहीं था।IMG 20250720 WA0292राज्यपाल कटारिया ने बताया, “जब मैंने पंजाब को नशामुक्त करने की मुहिम शुरू की, तो फौजा सिंह स्वयं आगे आए और इस अभियान का हिस्सा बने। वे युवाओं को नशे से दूर रहने का संदेश देते हुए गांव-गांव गए। उनका जीवन वास्तव में एक प्रेरणास्रोत है।” मुख्यमंत्री मान के साथ पंजाब सरकार के कैबिनेट मंत्री मोहिंदर भगत और अन्य वरिष्ठ नेता भी फौजा सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए उपस्थित रहेंगे। फौजा सिंह ने अपनी उम्र को कभी अपने सपनों के आड़े नहीं आने दिया। वे 90 वर्ष की उम्र में मैराथन दौड़ में शामिल हुए और 100 वर्ष की आयु में अंतरराष्ट्रीय मैराथन में भाग लेकर ‘सेंचुरी रनर’ की उपाधि हासिल की।उनका जीवन सिर्फ खेल जगत के लिए नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणास्त्रोत रहा। वे यह साबित करते रहे कि उम्र केवल एक संख्या है, और इच्छाशक्ति से किसी भी मंजिल को पाया जा सकता है। उनकी अंतिम यात्रा में देशभर से खेल जगत, सिख समुदाय और समाजसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों के भी शामिल होने की संभावना है आप को जानकारी देते हुए बता दें कि जालंधर देहात पुलिस ने मामले में एक्सीडेंट के 30 घंटे बाद भोगपुर के पास से फॉर्च्यूनर (पी बी 20 सी -7100) और कपूरथला के रहने वाले एनआरआई अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार कर लिया था। उसे कोर्ट में पेश करने के बाद पुलिस ने जेल भेज दिया।

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