जालंधर:- मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नजदीक लम्मा पिंड चौक जालंधर में मां बगलामुखी जी के निमित्त श्रृंखलाबद्ध सप्ताहिक दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन मंदिर परिसर में किया गया।सर्व प्रथम ब्राह्मणों द्वारा मुख्य यजमान इंद्र से विधिवत वैदिक रीति अनुसार पंचोपचार पूजन , षोढषोपचार पूजन, नवग्रह पूजन उपरांत सपरिवार हवन यज्ञ में आहुतियां डलवाई।मां बगलामुखी धाम के प्रेरक प्रवक्ता नवजीत भारद्वाज जी ने दिव्य हवन यज्ञ के उपलक्ष्य में उपस्थित संगत को संत कबीरदास के दोहे का वर्णन करते हुए कहा कि सैकड़ों साल पहले संत कबीरदास जी ने संत का चरित्र चित्रण करते हुए कहा *संत न छोड़े संतई, कोटिक मिले असंत, मलय भुजंगहि बेधिया, शीतलता न तजंत*। संत को अगर करोड़ों दुष्ट लोग मिलें, उनके साथ दुर्व्यवहार करें, तो भी वह अपनी सज्जनता का त्याग नहीं करता है। जिस प्रकार चंदन के वृक्ष पर सर्प लिपटे रहते हैं, लेकिन वह अपनी शीतलता नहीं छोड़ता है। ऐसे ही कोई संत को चाहे कितने ही दुष्ट लोग मिले वे अपना संतपन नही त्यागते। क्यों की यह तो उनका स्वभाव बन चुका है । कोई सच्चा व्यक्ति अगर किसी भी प्रकार के दुर्गन्ध भरे विचार अपने जीवन में लाता है, तो सबसे पहले वह खुद उनसे घुट जाएगा। यह उसके लिए संभव नहीं है। सभी को दुआ देना, और निरभिमान होकर रहना उसका स्वभाव बन जाता है ।इस संदर्भ में नवजीत भारद्वाज ने एक कथा सुनाई। किसी गांव में शीतल नाम का व्यक्ति रहता था। वह अत्यंत सज्जन और दयालु था। वह अपने नाम के अनुरूप शांत ही रहा करता था।लोग उसका बहुत सम्मान भी करते थे। वह सबसे मृदु बोलता था और मांगने पर उचित सलाह भी दिया करता था। उसी गांव में कुछ लोग ऐसे भी थे जिनको शीतल की सज्जनता अच्छी नहीं लगती थी। दुष्ट लोग उसको परेशान करने के लिए अपने घर का कूड़ा-करकट लाकर उसके घर के सामने डाल जाते थे। कई बार तो उसमें कांटे और नुकीले पत्थर भी होते थे ताकि वह घायल भी हो जाए। शीतल रोज सूरज निकलने से पहले उठता और घर के साथ-साथ बाहर पड़ा कूड़ा भी समेटता और ले जाकर उसको कूड़ेदान में डाल देता था। यह क्रम काफी दिनों से चलता आ रहा था।एक दिन कुछ लोगों ने पंचायत बुलाई और शीतल को परेशान करने वालों को दंड देने की बात कहीं। पंचायत ने शीतल से पूछा कि आप ऐसे लोगों को क्या दंड देना चाहते हैं? शीतल ने कहा कि कोई दंड नहीं देना चाहता है। पंचायत ने कहा कि फिर ऐसा कब तक चलेगा? शीतल ने कहा कि जब तक लोगों के दिल से ईष्र्या रूपी नुकीले पत्थर और कांटे नहीं निकल जाते हैं। पंचायत में कूड़ा फेंकने वाले लोग भी थे। वह यह सुनकर लज्जित हो गए और उससे दुर्व्यवहार करना छोड़ दिया।नवजीत भारद्वाज ने आए हुए भक्तजनों को भजनों से मां बगलामुखी जी के साथ जोड़ा।इस अवसर पर श्वेता भारद्वाज,पूनम प्रभाकर,सरोज बाला,सुनीता, अंजू, गुरवीर, प्रिती ,मंजू, प्रिया , रजनी, सोनीया,नरेश,कोमल ,नीरज सभरवाल, हरीश सभरवाल, विक्की,अमरजीत सिंह, राकेश प्रभाकर, समीर कपूर, अमरेंद्र कुमार शर्मा, नवदीप, उदय ,अजीत कुमार , नरेंद्र,रोहित भाटिया, अमरेंद्र सिंह,बावा खन्ना, विनोद खन्ना, नवीन, प्रदीप, सुधीर, सुमीत, बावा हलचल ,जोगिंदर सिंह, मनीष शर्मा, डॉ गुप्ता,सुक्खा अमनदीप , अवतार सैनी, डॉ परमजीत सिंह,ऐडवोकेट राज कुमार,गौरी केतन शर्मा,सौरभ , नरेश,अजय शर्मा,दीपक , किशोर,प्रदीप , प्रवीण,राजू, सोनू छाबड़ा, गुलशन शर्मा,संजीव शर्मा,ऐडवोकेट भाटिया,मुकेश, रजेश महाजन ,अमनदीप शर्मा, गुरप्रीत सिंह, विरेंद्र सिंह, अमन शर्मा, ऐडवोकेट शर्मा,वरुण, नितिश, भोला शर्मा,दीलीप, लवली, लक्की, रोहित , ऋषभ कालिया, विक्की, मोहित, विशाल , अश्विनी शर्मा , रवि भल्ला, भोला शर्मा, जगदीश, मोनू,सोनू,सुनील जग्गी, नवीन कुमार,निर्मल,अनिल,सागर,दीपक, कमल नैयर,प्रिंस , पप्पू ठाकुर, बलदेव सिंह भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।हवन-यज्ञ उपरांत विशाल लंगर भंडारे का आयोजन किया गया।