

31 जुलाई को, हम महान स्वतंत्रता सेनानी शहीद उधम सिंह को याद करते हैं, जिन्होंने भारत की आज़ादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। उन्हें लंदन में माइकल ओ’डायर की हत्या करके जलियाँवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने के लिए जाना जाता है। उधम सिंह का यह विद्रोह, हालाँकि उन्हें स्वयं फाँसी की सज़ा मिली, ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध प्रतिरोध का प्रतीक और राष्ट्र के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण बन गया।उधम सिंह की कहानी साहस और दृढ़ संकल्प की कहानी है। 1899 में जन्मे, उन्होंने जलियाँवाला बाग हत्याकांड की भयावहता को प्रत्यक्ष देखा और निर्दोष लोगों की जान का बदला लेने की कसम खाई। वे गदर पार्टी में शामिल हो गए और वर्षों की योजना के बाद, पंजाब के पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ’डायर की हत्या कर दी, जिन्होंने इस हत्याकांड का समर्थन किया था। सिंह को उनके कृत्यों के लिए 31 जुलाई, 1940 को फांसी दे दी गई।उनके बलिदान को न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उत्पीड़न के विरुद्ध प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है। उधम सिंह की कहानी पीढ़ियों को न्याय और स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित करती है, हमें स्वतंत्रता की कीमत और अन्याय के विरुद्ध खड़े होने के महत्व की याद दिलाती है।
वकील जी.एस. राणा
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय चंडीगढ़








