

कार्तिक मास में दीपदान को बेहद ही शुभ फल देने वाला माना गया है। इस पवित्र मास में रोजाना सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके नदी या तालाब में दीपदान करने से विशेष पुण्य मिलता है। वहीं, सुबह तुलसी के सामने घी या तिल के तेल का दीपक जलाने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और अगले जन्म में वह महान कुल में जन्म लेता है।कार्तिक मास, जिसे दीपावली का महीना भी कहा जाता है, विशेष रूप से दीपदान किया जाता है। इसके अलावा, दिवाली, नरक चतुर्दशी और कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान करना भी महत्वपूर्ण माना जाता है। दीपक अंधेरा होने के बाद, यानी सूर्योदय (ब्रह्म मुहूर्त) से पहले या सूर्यास्त के बाद जलाना चाहिए। घर के पूजा स्थल में, तुलसी के पौधे के पास, नदी या तालाब के किनारे और मंदिरों में दीपक जलाए जाते हैं।
- दीप जलाने के लिए दीपक और बाती की संख्या आपकी इच्छा के अनुसार निर्धारित की जाती है।
 - यदि आप नदी पर नहीं जा सकते हैं, तो आप घर पर ही नदी का आह्वान करके दीपक अर्पित कर सकते हैं।
 - दीपदान करते समय, एक दीपक को दूसरे से नहीं जलाना चाहिए।
 
