सनातन धर्म में गुरु का स्थान भगवान के बराबर बताया गया है

by Sandeep Verma
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सनातन धर्म में गुरु का स्थान भगवान के बराबर बताया गया है। कहा जाता है कि भगवान के बाद गुरु ही होते हैं जो हमें सारी परेशानियों से बचने का रास्ता दिखाते हैं। ऐसे में गुरु की महिमा, महत्व और उनके प्रति सम्मान को जाहिर करने के लिए साल का एक दिन समर्पित किया गया है। जिसे हम गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं। इसलिए इस दिन गुरु की पूजा की जाती है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है। आइए जानते इस साल ये किस दिन मनाया जाएगा और इस दिन का महत्व क्या है’

कब मनाई जाएगी गुरु पूर्णिमा : हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाता है। इस बार ये 3 जुलाई को पड़ रहा है। इस दिन गुरु की पूजा करने का विधान है क्योंकि गुरु ही अपने शिष्यों का कल्याण करते हैं। इसलिए गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान माना गया है। बता दें कि जब विष्णु जी 4 महीनों के लिए योगनिंद्रा में चले जाते हैं तो गुरु ही होते हैं जो हमारा सहारा होते हैं और हमें हर परेशानियों से निकलने का रास्ता बताते हैं।

आखिर आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही क्यों मनाई जाती है गुरु पुर्णिमा : आपको बता दें कि आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही वेदों के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। उन्होंने महाभारत, श्रीमद् भागवद् गीता और 18 पुराणों की रचना की थी। इसलिए वेद व्यास की जयंती पर ही गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। इसलिए हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व माना जाता है और गुरु की पूजा का विधान है। आइए जानते हैं इस दिन गुरु की पूजा कैसे की जाती है।

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