जालंधर : जिला भाजपा नेताओं ने इन एतिहासिक शक्तिपीठ मन्दिर के नवीनीकरण और सौंद्रीयकरण के लिए केंद्रीय मंत्री के नाम डिप्टी कमिश्नर को दिया मांग पत्र

by Sandeep Verma
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जालंधर : भारतीय जनता पार्टी जिला भाजपा के नेताओं ने एतिहासिक शक्तिपीठ माता सती और मां अन्नपूर्णा मंदिर के नवीनीकरण के लिए केंद्रीय कानून न्याय व कला संस्कृति मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के नाम पर डिप्टी कमिश्नर विशेष सारंगल को भाजपा जिला प्रधान सुशील शर्मा,पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया,के.डी भंडारी,सरबजीत सिंह मक्कड़,महामंत्री अशोक सरीन हिक्की व राजेश कपूर ने मांग पत्र दिया है। उन्होंने इस मांग पत्र में इस बात को दोहराया है कि जब मेघवाल जी जालंधर आए थे तो इन मंदिरों के ऐतिहासिक दृष्टिकोण के बारे में अवगत करवाया गया था और केंद्रीय मंत्री ने उस समय इन सभी के सौंद्रीयकरण और नवीनीकरण के लिए उचित दिशा निर्देश दिए थे।उन्होंने कहा कि मन्दिर का रास्ता तंग गलियों से हो कर गुजरता है।उन्होंने कहा कि मन्दिर को भव्य गलियारे की बहुत आवश्यकता है। इस ऐतिहासिक और पौराणिक सांस्कृतिक धरोहर का विकास और संरक्षण हमारा परम कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि हमें विश्वास है कि संस्कृति मंत्रालय इस सांस्कृतिक धरोहर के जीनोद्वार और संरक्षण में अपना पूर्ण सहयोग करेगा।सभी भाजपा नेताओं ने एक स्वर में कहा कि जालंधर शहर में भाजपा का सांसद आने पर पुरातत्व संस्कृति का विस्तार कर पूरी दुनिया में शहर की अनूठी पहचान होंगी।उन्होंने दोनों मंदिरों के इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि माँ अन्नपूर्णा मन्दिर में माता की स्तन रूप पिण्डी विग्रह आज भी वर्तमान में सुशोभित है।भविष्योत्तर पुराण में माँ अन्नपूर्णा की कथा आती है जिसमें बताया गया है कि काशी के ब्राह्मवधनंजय माँ अन्नपूर्णा का स्थान खोजते हुए ऐसे स्थान पर पहुँचा जहाँ एक विशाल सरोवर के पास 21 सीढ़ियां उतर कर एक बावड़ी के सामने माता अन्नपूर्णा स्वर्णमय सिंहासन पर विराजमान है। यह मन्दिर भी ऐसा ही है। बाहर एक सरोवर है जिसे अंग्रेज इतिहासकार कनिंघम ने ब्रह्मसर नाम दिया है। इसके किनारे तीन प्राचीन मन्दिर हैं। माँ अन्नपूर्णा मन्दिर ,सती गाता वृन्दा देवी मन्दिर ,ब्रह्मकुण्ड। वर्तमान में कार्तिक शुक्ल अष्टमी (गोपाष्टमी) से कार्तिक पूर्णिमा तक यहाँ बहुत भारी मेला लगता है। बड़ी दूर-दूर से श्रद्धालु बड़ी संख्या में मन्दिर आते हैं। इन दिनों में बहाँ आंवला पूजन, तुलसी पूजन और तुलसी- विवाह जैसे कार्यक्रम होते हैं।

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