CAA लागू कीयेव जाने पर भाजपा कार्यकर्ताओ ने पंजाब भर में लड्डू बाँट कर मनाई ख़ुशी।

by Sandeep Verma
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चंडीगढ़ : केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का नोटिफिकेशन जारी करने पर भाजपा पंजाव के मुख्य प्रवक्ता कर्नल जैबंस सिंह ने सभी को भाजपा पंजाब की तरफ से शुभकामनाएं देते हुए प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी तथा उनके नेतृत्व वाली केंद्र की बीजेपी सरकार का आभार जताया। का लागू होने पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने पंजाब भर में मिठाइयाँ बाँट कर ख़ुशी मनाई। उन्होंने कहा कि CAA लागू किया जाना प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी का एतिहासिक कदम है। CAA लग्गो होने से बंगला देश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान छोड़ कर भारत लौटे गैर-मुस्लिमों को भारत की नागरिकता मिलने का रास्ता साफ़ हो गया है। लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र की मोदी सरकार का यह बड़ा कदम है और इससे बंगला देश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान छोड़ कर भारत लौटे अल्पसंख्यकों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है।जैबंस सिंह ने कहा कि भाजपा द्वारा 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन करने और पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी मुस्लिम-बहुल देशों से आए हिंदुओं, सिखों, ईसाइयों, बौद्धों, जैनियों और पारसियों को भारतीय नागरिकता देने का मार्ग प्रदान करने की साहसी कार्रवाई और अफगानिस्तान में 31 दिसंबर, 2014 से पहले अत्यधिक धार्मिक उत्पीड़न के कारण हुई हिंसा एक महान मानवीय कार्य के रूप में सर्वोच्च प्रशंसा के योग्य है।जैबंस सिंह ने कहा कि भारत स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की सुरक्षा के सिद्धांतों पर आधारित एक पुरानी सभ्यता होने के नाते, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से सताए गए गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को आश्रय प्रदान करने के लिए सम्मान के साथ बाध्य है। उन्होने कहा कि मोदी सरकार व अमित शाह ने अपने वादे पर कायम रहते हुए कि 2019 में पारित कानून को लोकसभा चुनाव से पहले लागू किया जाएगा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में गृहमंत्री अमित शाह ने बहुत जरूरी राहत प्रदान की है। मानवता का एक वर्ग जो अपने देश में वंचित और हाशिए पर है और उसे तत्काल सहायता की आवश्यकता है।उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लागू सीएए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम प्रवासियों के लिए भारतीय नागरिकता प्राप्त करना आसान बनाता है। यह कानून 31 दिसंबर 2014 को और उससे पहले भारत आए सभी प्रवासियों पर लागू है।जैबंस सिंह ने कहा कि जब 2019 में संसद में अधिनियम पारित किया गया था, तो तत्कालीन कुछ विरोधी ताकतों ने इस सबंध में गलत सूचना के माध्यम से दुष्प्रचार किया, भले ही इस्लामिक देशों में सताए गए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने की अवधारणा को देश के सभी राजनीतिक दलों, नेताओं और लोगों ने स्वीकार कर लिया था। देश के विभाजन के समय से महात्मा गांधी से लेकर पंडित जवाहर लाल नेहरू और डॉ. मनमोहन सिंह तक कई लोगों ने इस पहल के पक्ष में स्पष्ट रूप से बात की थी। जो लोग सीएए को विभाजनकारी के रूप में परिभाषित कर रहे हैं वे अपने विरोध का ठोस कारण बताने में पूर्णतया विफल रहे हैं। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न, भेदभाव और अधीनता का स्तर इतना ऊंचा है कि उनके लिए देश छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। वे भारत में नागरिक के रूप में सम्मान का जीवन जीने के हकदार हैं, जो उनकी पसंद का देश है।उन्होंने कहा कि सीएए मानवता के उच्चतम सिद्धांतों के अनुरूप एक धर्मी और न्यायसंगत कानून बना रहेगा, जो भारत का मानदंड है। सभी राष्ट्रवादी ताकतों को एक साथ खड़े होने और झूठी अफवाहों से फैलाई जा रही सभी आशंकाओं को दूर करने की जरूरत है। लगभग 400 शरणार्थी परिवार ऐसे हैं जो 20 वर्षों से लेकर अब लगभग दस वर्षों तक की लंबी अवधि से पंजाब में हैं। 1992 के बाद किसी को भी पूर्ण नागरिकता नहीं दी गई। राजस्थान, दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में भी ऐसे कई परिवार हैं।जैबंस सिंह ने कहा कि हमारे पड़ोसी देशों में हालात ऐसे हैं कि अफगानिस्तान में अब सिख और हिंदू मुश्किल से ही बचे हैं। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की एक छोटी संख्या को भी लगता है कि भारत ही एकमात्र ऐसी जगह है जहां वे जाकर अपनी जिन्दगी सकून से गुजार सकते हैं और यही कारण है कि पूरा पलायन भारत की ओर है। बड़ी संख्या में शरणार्थियों का पंजाब से जुड़ाव है। उनके परिवार के सदस्य जो पहले बाहर आने में कामयाब रहे, वे भी यहीं बसे हुए हैं। यह स्थिति अत्यंत निंदनीय है और विश्व समुदाय को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

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