

जालंधर : भारतीय जनता पार्टी जिला अध्यक्ष सुशील शर्मा की अध्यक्षता में भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व सांसद अविनाश राय खन्ना ने पंजाब की आप सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ और आपदा कुप्रबंधों को लेकर प्रेस क्लब जालंधर में प्रेस वार्ता को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि पंजाब राज्य आपदा प्रबंधन योजना और एस.डी.आर.एफ के दिशा-निर्देश ने बताया था कि बाढ़ से निपटने के लिए पहले से तैयारी, रोकथाम और नुकसान को कम करने पर ध्यान देना जरूरी था पर आप सरकार ने तो बरसात के मौसम में पुराने आंकड़ों और भौगोलिक सर्वेक्षणों के आधार पर बाढ़ संभावित क्षेत्रों की पहचान ही नहीं की जिससे रावी, ब्यास और सतलुज जैसी नदियों के किनारे उच्च जोखिम वाले इलाकों में संसाधनो की कमी से बहुत ज्यादा नुक्सान हुआ। उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां पंजाब बाढ़ ग्रस्त था वहीं दूसरी तरफ आप सरकार सत्ता मे मस्त अपनी राजनीति चमका रही थी।उन्होंने कहा कि सरकार ने बुनियादी ढाँचे जिसमें नदियों, नालों और बाढ़-नियंत्रण गेट की समय पर सफाई और मजबूती का आंकलन ही नहीं किया जिससे पानी के बहाव में निरंतर रुकावटें रही। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने जनता के अधिकारो और सुविधाओं पर डकैती डालने का काम किया है जो कदापि बर्दाश्त नहीं होगा।उन्होंने कहा कि एसडीआरएफ टीम, स्थानीय प्रशासन और गाँव/ कस्बे के लोगों के लिए बाढ़ जैसी स्थिति में बचने के लिए मॉक ड्रिल और प्रशिक्षण कराना चाहिए था क्योंकि जुलाई 2023 में भी लगातार बारिश के कारण पंजाब के कई जिले और अन्य क्षेत्रों में भीषण बाढ़ के कारण जगह-जगह सड़कें जलमग्न हो गईं थीं,जिससे यातायात पूरी तरह से बाधित हो गया था पर सरकार ने इससे भी कोई सबक नहीं लिया। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार की इसी नाकामी से 1,056 गाँवों के लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा और हैरानी की बात है कि राज्य सरकार ने बाढ़ प्रबंधन की जाँच के लिए कोई समिति तक नहीं बनाई,अगर बनाई भी गई थी,तो उसकी सिफारिशों को कभी लागू नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि 2025 के बुरे हालात में आप सरकार के पिछले साढ़े तीन सालों में, जल संसाधन मंत्रालय कभी भी स्थिर नहीं रहा और उसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ा।उन्होंने कहा कि 2023 की भीषण बाढ़ जैसी घटनाओं को देख कर बाढ़ क्षेत्रों का सर्वेक्षण कराने का प्रस्ताव रखा था जिसमें सतलुज नदी के लिए डिजिटल एलिवेशन मॉडल तैयार करने पर लगभग ₹8.92 करोड़ का अनुमान लगाया गया था आप सरकार ने पिछले 15 महीनों से इस प्रोजेक्ट के लिए टेंडर तक जारी नहीं किया जिसका नतीजा यह है कि सरकार की नाकामियों से पंजाब बार-बार आने वाली बाढ़ आपदाओं के कारण असुरक्षित बना हुआ है। उन्होंने कहा कि दिल्ली चुनाव और फिर 2025 के लुधियाना पश्चिम उपचुनाव के प्रचार में उलझी रही आप सरकार बाढ़ की तैयारी पर बैठकें भी नजरअंदाज करती रही। उन्होंने कहा कि पंजाब के जल संसाधन मंत्री ने जुलाई में विशेष विधानसभा सत्र में बताया कि सरकार ने बाढ़ के जोखिम कम करने के लिए ₹276 करोड़ खर्च किए हैं और इसमें नदियों की मरम्मत, स्टड्स लगाना, तटबंधों को मजबूत करना और नालों की सफाई और खुदाई शामिल थी पर वास्तविकता यह है कि भारी बारिश शुरू होते ही पंजाब के नाले पूरी तरह जाम हो गए।उन्होंने कहा कि आप सरकार ने अप्रैल में सामान्य से अधिक बारिश के बारे में भारतीय मौसम विभाग की चेतावनियों को नजरअंदाज किया और इसके साथ साथ सरकार को बाँधों के जलाशयों में पानी को बेहतर तरीके से जमा करने और नियंत्रित करने की योजना बनानी चाहिए थी पर सरकार की संरक्षण में बेतहाशा अवैध खनन ने मिटटी कटाव तेज़ी से बढ़ाया और बाढ़ का खतरा और ज़्यादा बढ़ गया। उन्होंने कहा कि सरकार ने नदियों के किनारों पर अवैध रेत खनन की अनुमति दी, जिससे नदी की तलहटी से 30 से 40 फीट तक गहरे गड्ढों से रेत, बजरी और पत्थर की असीमित मात्रा निकाली गई और इन्हीं गड्ढों के कारण नदी का पानी अंदर रिसने लगा और तटबंध कमजोर हो गए, जिससे आस-पास के इलाके बाढ़ और टूटने के खतरे के लिए बेहद संवेदनशील हो गए।उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने बैंक एम्बैंकमेंटस में मरम्मत और रखरखाव के लिए ₹240 करोड़ भेजे थे।लेकिन पंजाब सरकार इस राशि का सही उपयोग नहीं कर पाई और मरम्मत और रखरखाव पर पैसा खर्च करने के बजाय आप सरकार ने अवैध रेत खनन (सैंड माइनिंग) को जारी रहने दिया। उन्होंने कहा कि आप सरकार की लापरवाही और रंजीत सागर डैम के गलत प्रबंधन की वजह से पठानकोट, गुरदासपुर और अमृतसर ज़िले में भारी तबाही हुई। उन्होंने कहा कि अगस्त 2025 में जब पंजाब में भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति थी, तब मुख्यमंत्री भगवंत मान राज्य में मौजूद ही नहीं थे।उस समय वे तमिलनाडु सरकार के एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनकर मेहमाननवाजी का आनंद ले रहे थे।ऐसी गंभीर आपदा के दौरान मुख्यमंत्री का राज्य से बाहर होना पंजाब सरकार के गैर-गंभीर रवैये को दिखाता है।उन्होंने कहा कि पंजाब में बाढ़ राहत कार्यों के दौरान मोटर बोट्स की भारी कमी,पूरे तीन ज़िलों में मिलाकर सिर्फ 15 मोटर बोट्स की उपलब्धता लेकिन इसके बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।ना तो अतिरिक्त मोटर बोट्स खरीदी गई और ना ही विशेष राहत टीमें तैयार की गई।जब दूसरी बार बाढ़ आई, तो बचाव दलों के पास पर्याप्त संसाधन ही नहीं थे।इस लापरवाही की वजह से संकट और बढ़ गया और कई ग्रामीणों को समय पर मदद नहीं मिल सकी।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने घोषणा की थी कि उनका सरकारी हेलीकॉप्टर बाढ़ राहत और राशन वितरण के लिए इस्तेमाल होगा।लेकिन हकीकत में यह हेलीकॉप्टर राहत कार्यों की बजाय आम आदमी पार्टी के नेताओं की फोटो खिंचवाने और प्रचार के लिए ज्यादा इस्तेमाल हुआ।उड़ा और आम आदमी पार्टी नेताओं द्वारा डेरा बाबा नानक के आसपास इसका इस्तेमाल फोटो खिंचवाने के लिए किया गया।उन्होंने कहा कि सरकार से पहले पंजाब में बाढ़ से सीमा सुरक्षा बल (बी.एस.एफ.) ने सक्रियता दिखाते हुए तैयारियाँ शुरू कर दी थीं। बी.एस.एफ. ने व्यापक बचाव अभियान चलाकर 1,200 से अधिक ग्रामीणों को प्रभावित सीमा गांवों से सुरक्षित निकाला, कमजोर तटबंधों को मजबूत किया और आवश्यक मानवीय सहायता भी उपलब्ध कराई। उन्होंने कहा कि भारतीय मौसम विभाग द्वारा भारी बारिश की चेतावनी दिए देने के बावजूद आप सरकार ने अपने डिप्टी कमिश्नरों (डी.सी.) को समय रहते उचित तैयारी करने के निर्देश क्यों नहीं दिए और साथ ही डीसी अवैध खनन रोकने में भी नाकाम रहे, जिसकी वजह से नदी के किनारे कमजोर हो गए और बाढ़ की स्थिति और बिगड़ गई।जनजीवन प्रभावित हुआ, बल्कि बुनियादी ढांचा भी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हुआ। उन्होंने कहा कि पूरे राज्य में, कम से कम 70-80 बड़े तटबंध टूट गए और धुस्सी तटबंध का टूटना आप सरकार के इस दावे को पूरी तरह से झूठा साबित करता है कि कोई तटबंध नहीं टूटा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और उनके मंत्री असली राहत कार्यों की बजाय अरविंद केजरीवाल बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने पंजाब पहुंचे। उनके साथ इतनी भारी सुरक्षा थी कि उन्हें “सुपर मुख्यमंत्री” जैसा दिखाने का माहौल बन गया, लेकिन यह राहत कार्यों में बाधक साबित हुई और सुरक्षा व्यवस्था के कारण राशन के ट्रक रास्ते में रोक दिए गए। उन्होंने कहा कि यह बेहद चिंताजनक है कि आम आदमी पार्टी सरकार अब तक यह स्पष्ट नहीं कर सकी है कि पहले से आवंटित ₹12,589.59 करोड़ का उपयोग कैसे किया गया।पंजाब की जनता को इस मामले में जवाब मिलने का अधिकार है, क्योंकि यह पैसा उनके भविष्य की सुरक्षा के लिए रखा गया था। उन्होंने कहा कि भगवंत मान सरकार ने भ्रष्टाचार कर केंद्र सरकार द्वारा पंजाब को मिला आपदा का 12 हजार करोड़ खुर्दबुर्द किया है।इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करते हुए पंजाब के लिए ₹1,600 करोड़ का तत्काल राहत पैकेज घोषित किया। यह राशि पहले से मौजूद ₹12,589.59 करोड़ आपदा कोष के अलावा दी गई थी, जिसका भी अभी तक उपयोग अस्पष्ट है।इसके अलावा, राज्य आपदा राहत कोष की दूसरी किश्त के रूप में ₹240 करोड़ जारी किए गए और चार भाजपा शासित राज्यों ने मिलकर ₹20 करोड़ का योगदान दिया, जिसमें हर राज्य ने ₹5 करोड़ दिया।इन सभी योगदानों को मिलाकर पंजाब के पास अब कुल ₹14,000 करोड़ से भी ज़्यादा उपलब्ध हैं।इसके साथ केंद्र सरकार ने राज्य को “गंभीर रूप से बाढ़ प्रभावित घोषित करने के बाद विशेष पूंजी निवेश सहायता योजना (एसएएससीआई) के तहत पंजाब को 50 साल की सॉफ्ट लोन के रूप में ₹595 करोड़ मंजूर किए हैं। यह सहायता सड़क, पुल, स्कूल और अस्पताल जैसी क्षतिग्रस्त सार्वजनिक संरचना के पुनर्निर्माण के लिए दी गई है। उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में आम आदमी पार्टी सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उन्हें उपलब्ध कराए गए कोष का उपयोग कहां और कैसे किया गया, और राहत कार्य जनता तक क्यों नहीं पहुंच रहे, जैसा कि अब तक पहुंचने चाहिए थे।उन्होंने कहा कि 31 मार्च 2023 को प्रस्तुत कैग (CAG) की पंजाब राज्य वित्त लेखा परीक्षा रिपोर्ट 2023 से पता चला है कि आम आअदमी पार्टी की सरकार एस.डी.आर.एफ निधि का उपयोग करने में विफल रही। इसके बजाय, सरकार ने कथित तौर पर निधि को इच्छित उद्देश्यों के अलावा अन्य उद्देश्यों पर खर्च किया, जिससे वित्तीय जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठते हैं और आपदा राहत के लिए निर्धारित 12,589.59 करोड़ रुपये का इस्तेमाल करने के बजाय, आम आदमी पार्टी ने इस धनराशि को सामान्य कोष में डाल दिया कउन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा दिए गए कुल राहत कोष में से केवल ₹141 करोड़ ही आप सरकार ने खर्च किए हैं, जबकि राज्य में लगातार बाढ़ आती रही और नुकसान लगातार बढ़ता रहा। इससे साफ दिखता है कि उपलब्ध फंड का सही और प्रभावी उपयोग नहीं किया गया, जिससे बाढ़ पीड़ितों को समय पर मदद नहीं मिल पाई।उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार हर कमी के लिए केंद्र सरकार को दोषी ठहराती है और यह दावा करती है कि फंड की कमी है। फिर भी उन्होंने कई दान पोर्टल्स शुरू किए हैं, जैसे कि मुख्यमंत्री राहत कोष और रंगला पंजाब रिलीफ फंड । इन पोर्टल्स की समानांतर स्थापना के पीछे कोई पारदर्शिता या स्पष्ट कारण नहीं बताया गया है। इस तरह की व्यवस्था वित्तीय कुप्रबंधन और जनता के धन के सही इस्तेमाल में अनियमितता की चिंता पैदा करती है।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे के दौरान, चीफ सेक्रेटरी ने आधिकारिक रूप से बताया कि बाढ़ से कुल नुकसान ₹13,289 करोड़ हुआ है। यह प्रारंभिक अनुमान केंद्र और भाजपा शासित राज्यों द्वारा उपलब्ध कराए गए फंड से भी अधिक है। फिर भी, आम आदमी पार्टी की सरकार केंद्र से ₹20,000 करोड़ की मांग कर रही है, जो अपने ही रिपोर्ट किए गए आंकड़ों से कहीं ज्यादा है। यह बढ़ा-चढ़ाकर की गई मांग राजनीतिक लाभपाने और दोष केंद्र सरकार पर डालने का प्रयास प्रतीत होती है, न कि वास्तविक जरूरतों पर आधारित कोई डेटा-संभावित अनुरोध किया है।उन्होंने कहा कि पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार के मंत्री, विधायक व अफसरशाही फसल के नुकसान, क्षति और प्रभावित गांवों के बारे में स्पष्ट नहीं हैं, यह दर्शाता है कि वे आंकड़े बढ़ा रहे हैं और बाढ़ प्रबंधन को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि आप सरकार में वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि सरकार के पास बाढ़ राहत के लिए ₹12,589.59 करोड़ नहीं हैं,जबकि हरदीप सिंह मुंडियां और बरिंदर कुमार गोयल ने दावा किया कि राज्य के पास SDRF फंड में ₹12,589.59 करोड़ हैं जो आंतरिक भ्रम को उजागर करता है और इनका घटिया राजनीतिक मानसिकता को जगजाहिर करता है।उन्होंने कहा कि आप सरकार अब तक यह नहीं बता पाई है कि केंद्र सरकार द्वारा SDRF के तहत भेजे गए ₹12,589.59 करोड़ का इस्तेमाल कैसे किया गया।फंड के प्रबंधन में हुई लापरवाही पर सरकार कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे रही।सरकार और उसके मंत्री यह तय ही नहीं कर पा रहे हैं कि फसल मुआवजे की गणना कैसे की जाए और नुकसान का सर्वे किस तरह किया जाए। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी त्रासदी के बाद भी पंजाब सरकार की कोई ठोस कार्ययोजना सामने नहीं आई है।हैरानी की बात यह है कि मुख्यमंत्री और मंत्री राहत कार्यों पर ध्यान देने के बजाय मीडिया को इंटरव्यू देने में व्यस्त हैं जो स्पष्ट करता है कि इनका मकसद सिर्फ केंद्र सरकार पर तंज कसना है न कि पंजाबवासियों कोई समाधान ढूँढना।इस मौके भाजपा जिलाध्यक्ष सुशील शर्मा,पूर्व विधायक शीतल अंगुराल, सरबजीत सिंह मक्कड़,भाजपा जिला महामंत्री अशोक सरीन हिक्की,पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष रमन पब्बी,युवा नेता गौरव राय आदि उपस्थित थे।










