देवताओं से पहले पितरों को प्रसन्न करना अधिक कल्याणकारी होता हैं : मनु कपूर टीलू

by Sandeep Verma
0 comment
Trident AD

जालंधर : इस बार पितृ पक्ष 29 सितंबर शुक्रवार से आरम्भ हो चुके थे और इसका समापन 14 अक्तूबर को होगा। भारतीय संस्कृति में श्राद्ध का विशेष महत्व है। श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धापूर्वक किया हुआ वह संस्कार, जिससे पितृ संतुष्टि प्राप्त करते हैं। पितृ पक्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है, जो अमावस्या तिथि तक रहता है। इस मौके पर हमारे चैनल के साथ एक विशेष भेटवार्ता के दौरान मनु कपूर टीलू ने कहा की पितृ या पूर्वज ही हमें जीवन में आई विपरीत परिस्थितियों से उबारने में मदद करते हैं। शास्त्र कहते हैं कि ‘पुन्नाम नरकात् त्रायते इति पुत्रः अर्थात जो नरक से त्राण (रक्षा) करता है वही पुत्र है। उन्होंने बताया की श्राद्ध कर्म के द्वारा ही पुत्र जीवन में पितृ ऋण से मुक्त हो सकता है। मान्यता है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और परिजनों को अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। उनकी कृपा से जीवन में आने वाली सभी दिक्कतों से भी मुक्ति मिलती है। लोग श्राद्ध कार्य इस शंका से नहीं करते कि ‘कौन हैं पितर और कहां हैं। मनु कपूर ने कहा कि ‘पितृ सूक्ष्म स्वरुप में श्राद्ध तिथि को अपनी संतान के घर के द्वार पर सूर्योदय से ही आकर बैठ जाते हैं, इस उम्मीद में कि उनके पुत्र-पौत्र भोजन से उन्हें तृप्त कर देंगे क्युकी देवताओं से पहले पितरों को प्रसन्न करना अधिक कल्याणकारी होता हैं। किन्तु सूर्यास्त होने तक भी पितरों को जब भोजन प्राप्त नहीं होता है तो वे निराश व रुष्ट होकर श्राप देते हुए अपने पितृलोक लौट जाते है। उन्होंने बताया की इसीलिए भारतीय संस्कृति व में श्राद्ध करने की अनिवार्यता कही गई है। मान्यता है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और परिजनों को अपना सुख शांति का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

Trident AD
Trident AD

You may also like

Leave a Comment

2022 The Trident News, A Media Company – All Right Reserved. Designed and Developed by iTree Network Solutions +91 94652 44786