

श्री महाकालेश्वर मंदिर के द्वितीय तल पर श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर के पट वर्ष में एक बार 24 घंटे सिर्फ नागपंचमी के दिन खुलते हैं। हिंदू धर्म में सदियों से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है। हिंदू परंपरा में नागों को भगवान का आभूषण भी माना गया है। श्री महाकाल मंदिर के गर्भगृह के ऊपर ओंकारेश्वर मंदिर और उसके भी शीर्ष पर भगवान श्री नागचन्द्रेश्वर का मंदिर प्रतिष्ठापित है।श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा स्थापित है। प्रतिमा में श्री नागचन्द्रेश्वर स्वयं अपने सात फनों से सुशोभित हो रहे हैं। साथ में शिव-पार्वती के दोनों वाहन नंदी एवं सिंह भी विराजित हैं। मूर्ति में श्री गणेश की ललितासन मूर्ति, उमा के दाईं ओर कार्तिकेय की मूर्ति व ऊपर की ओर सूर्य-चन्द्रमा भी अंकित हैं। इस प्रकार श्री नागचन्द्रेश्वर की मूर्ति अपने आप में भव्य एवं कलात्मकता का उदहारण है। भगवान के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं। कहते हैं कि यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। ऐसी मान्यता है कि उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है। महाकाल मंदिर में कल 29 जुलाई मंगलवार को नागपंचमी पर्व मनाया जाएगा, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान नागचन्द्रेश्वर के दर्शन के लिए आएंगे।









