सांस्कृतिक एकता और अखंडता को जोड़ने का पर्व है दशहरा

by Sandeep Verma
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सत्य पर असत्य की जीत का सबसे बड़ा त्योहार दशहरा 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा. विजयादशमी का त्योहार पूरे देश में बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस दिन अस्त्र-शस्त्र का पूजन और रावण दहन के बाद बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लेने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.इस साल दशहरा पर्व पर दो शुभ योग भी बन रहे हैं. इस दिन जगह-जगह रावण दहन किया जाता है. कहा जाता है कि रावण के पुतले को जला हर इंसान अपने अंदर के अहंकार, क्रोध का नाश करता है. इस दिन मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन भी किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि रावण का वध करने कुछ दिन पहले भगवान राम ने आदि शक्ति मां दुर्गा की पूजा की और फिर उनसे आशीर्वाद मिलने के बाद दशमी को रावण का अंत कर दिया.दशहरा के दिन शस्त्र पूजन करने की परंपरा सदियों पुरानी है. आश्विन शुक्ल पक्ष दशमी को शस्त्र का पूजन किया जाता है. नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के पूजन के बाद दशहरे का त्योहार मनाया जाता है. विजयदशमी पर मां दुर्गा का पूजन किया जाता है. मां दुर्गा शक्ति का प्रतीक हैं. भारत की रियासतों में शस्त्र पूजन धूम-धाम से मनाया जाता था. अब रियासतें तो नही रहीं लेकिन परंपराएं शाश्वत हैं. यही कारण है कि इस दिन आत्मरक्षार्थ रखे जाने वाले शस्त्रों की भी पूजा की जाती है. हथियारों की साफ-सफाई की जाती है और उनका पूजन होता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन किए जाने वाले कामों का शुभ फल अवश्य प्राप्त होता है. यह भी कहा जाता है कि शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए इस दिन शस्त्र पूजा करनी चाहिए.

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