जालंधर : भूमि और जल संभाल विभाग द्वारा गाँव दूहड़े में किसानों के खेतों में छप्पड़ का पानी पहुँचाने के लिए पाई नई प्राईपलाईन प्रणाली बेहद लाभदायक साबित हो रही है, जिसके द्वारा 60 एकड़ ज़मीन को सिंचाई के लिए पानी पहुँचाया जा रहा है।डिप्टी कमिश्नर डा. हिमांशु अग्रवाल ने भूमि संभाल विभाग द्वारा किए गए इस प्रयास एंव लोगों की भागीदारी की प्रशंसा करते हुए बताया कि 12.48 लाख रुपए की लागत से इस प्रोजैक्ट को पूरा किया गया है, जिसके अंतर्गत 1150 मीटर लंबी भूमिगत पाइपलाइन के द्वारा 60 एकड़ सिंचाई की ज़मीन को कवर करते हुए 18 किसानों को सिंचाई के लिए पानी मुहैया करवाया गया है।इस प्रणाली के अंतर्गत पुर्नजीवित किए छप्पड़ के पानी का प्रयोग किया जाता है, जिसके लिए सौर ऊर्जा से चलने वाली 5 हार्सपावर की मोटर लगाई गई है।डा. अग्रवाल ने इस पहलकदमी की प्रशंसा करते कहा कि वातावरण की संभाल और ज़मीन नीचे पानी को बचाने के लिए जिले में इस प्रकार के अन्य प्रोजैक्टों लगाए जाएंगे।दूहड़े गाँव के निवासी कुलवंत सिंह ने बताया कि पहले छप्पड़ की हालत की बहुत ख़स्ता थी और पानी की उपयुक्त निकासी भी नहीं थी। उन्होंने इस प्रोजैक्ट को समय पर पूरा करने के लिए भूमि और जल संभाल विभाग का धन्यवाद किया, जिससे सिंचाई के लिए छप्पड़ के पानी का प्रयोग करके गाँव को काफ़ी लाभ हुआ है।एक अन्य लाभपात्री किसान मनजीत सिंह ने भी इस पहलकदमी की प्रशंसा करते हुए योजना के लिए पंजाब सरकार का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि इससे उनकी उत्पादन लागत में कमी आई है। इसके इलावा सौर ऊर्जा के साथ चलने वाली मोटर के द्वारा छप्पड़ का पानी मिलने से ज़मीन नीचे पानी के लिए पंपों पर उनकी निर्भरता ख़त्म हो गई है।किसान मनदीप सिंह और मनजीत सिंह ने भी इस प्रोजैक्ट को खेती के लिए लाभप्रद इकरार दिया। उन्होंने बताया कि सौर ऊर्जा से चलने वाली मोटर रोज़ाना की 7-8 घंटे काम करती है, उनके खेतों के लिए काफ़ी पानी प्रदान करती है।छप्पड़ के पानी की सिंचाई के लिए प्रयोग का गाँव दूहड़े पर गहरा प्रभाव पड़ा है। सभ्य योजनाबंदी और अमल के द्वारा इस प्रोजैक्ट ने पानी की गुणवत्ता, जैव विभिन्नता और पहुँच जैसे मुख्य मुद्दों को छुआ। पुर्नजीवित किए छप्पड़ में अब पानी की गुणवत्ता में सुधार, जैव विभिन्नता में वृद्धि के साथ- साथ भाईचारक शमूलियत भी बढ़ी है।भूमि और जल संभाल विभाग पंजाब के सब डिवीज़नल भूमि संभाल अधिकारी जालंधर इंजी. लुपिन्दर कुमार ने बताया कि यह पानी सिंचाई के लिए ज़रुरी अलग- अलग मापदण्डों पर पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी लुधियाना से प्रीओडिक टेस्टिंग दौरान फिट पाया गया है। टैस्ट में टी.एस.एस., पी.एच., ई.सी., ई कोलाई, एफ कोलाई और अन्य हैवी मैटलस सहित अलग- अलग पहलू शामिल है।