अध्यात्म के क्षेत्र में भी हमें अद्भुत रूप से तरक्की करनी चाहिए: नवजीत भारद्वाज

by Sandeep Verma
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जालंधर: मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नजदीक लम्मा पिंड चौक जालंधर में मां बगलामुखी जी के निमित्त सम्पूर्ण फलदाई मासिक हवन यज्ञ का आयोजन मंदिर परिसर में किया गया।
सर्व प्रथम ब्राह्मणों द्वारा मुख्य यजमानों से विधिवत वैदिक रीति अनुसार पंचोपचार पूजन, षोढषोपचार पूजन, नवग्रह पूजन उपरांत हवन यज्ञ में आहुतियां डलवाई गई।सिद्ध मां बगलामुखी धाम के प्रेरक प्रवक्ता नवजीत भारद्वाज जी ने मासिक अलौकिक हवन यज्ञ पर उपस्थित मां भक्तों को आज के युग में अध्यात्म को अपने जीवन में अपनाने की अपील करते हुए कहा कि अध्यात्म को अगर सही रूप में देखा जाए तो यह संपूर्ण और संतुलित जीवन जीने का एक सार्वभौमिक तरीका है। आज के युग में जबकि हमने बहुत अधिक वैज्ञानिक और भौतिक उन्नति कर ली है, हमारे सामने व्यक्तिगत और सामाजिक तौर पर यह चुनौती है कि हम अध्यात्म के क्षेत्र में भी उसी तरह अद्भुत रूप से तरक्की करें।मनुष्य की यह प्रवृत्ति है कि वह चीजों को जानना और समझना चाहता है। वैज्ञानिक इस कार्य में लगे हैं, लेकिन जिन साधनों का प्रयोग वह करते हैं, वे भौतिक और बौद्धिक रूप से सीमित हैं। सदियों से संत और सूफी, जीवन और मृत्यु के रहस्य की खोज करते रहे हैं और वे सब इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि हम इस रहस्य को आध्यात्मिक स्तर पर ही जान सकते हैं। आध्यात्मिक यात्रा उन रूहानी मंडलों का अनुभव करना है जो कि बुद्धि और मन से परे हैं और यह सब हमें रहस्यमय लगता है। यही कारण है कि अध्यात्म को रहस्यवाद भी कहा जाता है।अध्यात्म जीवन को जीने का एक व्यावहारिक तरीका है जो हमारे आंतरिक जीवन को समृद्ध बनाने के साथ-साथ, हमारे आपसी संबंधों को भी बेहतर बनाता है। अध्यात्म का मूल सिद्धांत यह है कि हममें से प्रत्येक वास्तव में एक आत्मा है जो कि थोड़े समय के लिए इस भौतिक शरीर में आई है। यह समय बीस, पचास, साठ, अस्सी या सौ वर्ष का हो सकता है, लेकिन मृत्यु के बाद हर एक को इस दुनिया से जाना है।हमारे जीवन का उद्देश्य अपनी आत्मा का मिलाप परमात्मा से करना है। परमात्मा से मिलने पर ही परम ज्ञान प्राप्त होता है जो जग की भलाई बताता है अध्यात्म का यह रूप हमें अपने जीवन और दुनिया के अन्य लोगों के जीवन को सुधारने के अनगिनत अवसर प्रदान करता है। आत्मा की यात्रा की शुरूआत प्रभु की ज्योति और अनहद शब्द से संपर्क करने पर आरंभ होती है। ज्योति और शब्द की धारा प्रभु से आरंभ होती है और वापस प्रभु की ओर जाती है।इस अवसर पर श्री कंठ जज, मनमोहन भट्टी,निर्मल शर्मा, श्वेता भारद्वाज,सरोज बाला, रुपम प्रभाकर, रुपाली , अंजू, गुरवीर, प्रिती ,मंजू, प्रिया , रजनी, सोनीया,अमरजीत सिंह, बाबा जोगिंदर सिंह,राकेश प्रभाकर, बलजिंदर सिंह, अंकित शर्मा, सौरभ अरोड़ा,ऋषभ कालिया, जगदीश शारदा, मनीष शर्मा ,अमरेंद्र कुमार शर्मा, नवदीप, उदय ,अजीत कुमार , नरेंद्र, अमरेंद्र सिंह,बावा खन्ना, विनोद खन्ना, नवीन जी, प्रदीप, बावा हलचल , मनीष शर्मा, डॉ गुप्ता,ऐडवोकेट राज कुमार,गौरी केतन शर्मा , नरेश,अजय शर्मा,दीपक , इंजिनियर किशोर,प्रदीप , प्रवीण,राजू, सोनू छाबड़ा, गुलशन शर्मा,संजीव शर्मा,मुकेश, चेतन,अमनदीप शर्मा, गुरप्रीत सिंह, विरेंद्र सिंह, विक्की,अमन शर्मा, ऐडवोकेट शर्मा,वरुण, नितिश, भोला शर्मा,दीलीप, लवली, लक्की, रोहि , मोहि , विशाल , अश्विनी शर्मा , रवि भल्ला, भोला शर्मा,जगदीश,निर्मल,अनिल कत्याल,सागर,दीपक, प्रिंस कुमार ,दीपक सहित भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।हवन-यज्ञ उपरांत विशाल लंगर भंडारे का आयोजन किया गया।

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