

जालंधर : जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण ने शनिवार को न्यायिक अदालतों में लंबित सिविल और फौजदारी समझौता योग्य मामलों और बैंकों, बिजली विभाग, वित्तीय संस्थानों जैसे अन्य संस्थानों के पूर्व-मुकदमेबाजी मामलों को राजीनामा के माध्यम से निपटाने के लिए राष्ट्रीय लोक अदालत लगाई।इस संबंध में जिला एवं सेशन न्यायाधीश- कम-अध्यक्ष जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण निरभऊ सिंह गिल ने बताया कि जालंधर में 19, नकोदर में 2 और फिल्लौर में 2 (कुल 23 बेंच) स्थापित की गई । लोक अदालत में कुल 56025 मामले सुनवाई के लिए रखे गए थे, जिनमें से 54674 मामलों का राजीनामा के माध्यम से मौके पर ही निपटारा किया गया। इन मामलों में कुल 34,91,25,901 (34 करोड़ 91 लाख 25 हजार 901 रुपये) का निपटारा किया गया।लोक अदालत की अध्यक्षता करते हुए कृष्ण कांत जैन अतिरिक्त सेशन न्यायाधीश, विशेष कंबोज अतिरिक्त सेशन न्यायाधीश, वनीत कुमार नारंग अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश फैमिली कोर्ट, सुशील बोध सीजेएम, इंद्रजीत सिंह अतिरिक्त सिविल जज (सी डिवीजन) मैडम अर्पणा, आकाशदीप सिंह मलवई, रितबिंदर सिंह धालीवाल, अर्जुन सिंह संधू, बबलजीत कौर, शिवानी गर्ग, मिस रसवीन कौर, रेनुका कालरा, प्रतीक गुप्ता, राम पाल ( सभी सिविल जज), दलजीत सिंह रल्हन, पीठासीन अधिकारी, औद्योगिक न्यायाधिकरण, जगदीप सिंह मरोक अध्यक्ष स्थायी लोक अदालत, राम चंद तहसीलदार और एकता सहोता एसडीजे एम, ज़उमर कोर्ट नकोदर, हरसिमरनजीत कौर, जे,एमआई, नकोदर, गौरव कुमार शर्मा, जे, एमआईसी और हरसिमरनजीत कौर जेएमआईसी फिल्लौर ने संचालन किया।उन्होंने कहा कि लोक अदालतों का उद्देश्य लोगों को त्वरित एवं सस्ता न्याय दिलाना है। उन्होंने कहा कि लोक अदालत का फैसला अंतिम होता है और इसके फैसले के खिलाफ कोई अपील नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि लोक अदालतों के माध्यम से निर्णय लेने से धन और समय की बचत होती है और समुदाय भी बढ़ता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगली राष्ट्रीय लोक अदालत 8 मार्च 2025 को आयोजित की जायेगी।आज की लोक अदालत की खास बात यह रही कि बैंकों के 2 प्री-लिटिगेशन मामले, जिनकी वसूली राशि क्रम अनुसार: करीब 31 लाख और करीब 8 लाख थी, उनका निपटारा क्रमअनुसार: साढ़े 12 लाख (साढ़े बारह लाख) और 7 लाख 81 हजार में किया गया,यानी लोगों को ब्याज में काफी छूट दी गई।इस अवसर पर सी.जे.एम. कम सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राहुल कुमार आजाद ने बताया कि विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा समय-समय पर ऐसी लोक अदालतें लगाई जाती हैं, ताकि न्यायालयों में लंबित ऐसे मामले, जिनमें आपसी बातचीत से समझौता हो सके, को सुचारु रूप से हल किया जा सके जो मामले अभी तक न्यायालय तक नहीं पहुंचे हैं लेकिन यदि नहीं सुलझे तो न्यायालय के समक्ष आ जाते हैं, जैसे बैंक, टेलीफोन और बिजली विभाग के बिलों का लंबित भुगतान आदि को भी समझौते के माध्यम से निपटाने का प्रयास किया जाता है। उन्होंने कहा कि लोक अदालत में मामले को उठाने और कानूनी सेवाओं की अन्य सुविधाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए पंजाब कानूनी सेवा प्राधिकरण के टोल फ्री नंबर 15100 पर संपर्क किया जा सकता है।








