जालंधर विवादों से भरे होटल मैरिटोन को लेकर नया पंगा पड़ गया है। पंगा यह है कि होटल की पार्किंग ही नहीं है। अब सवाल ये पैदा होता है कि बिना पार्किंग शो किए होटल कैसे बन गया। वैसे तो होटल के 5 स्टार होने का दावा किया जा रहा है लेकिन क्या 5 स्टार होटल की पार्किंग नहीं होती। अगर होती है तो फिर मैरिटोन की क्यों नहीं है। चलिए जो भी हो मामला कुछ गड़बड़ है। अब या तो नोटों के बंडलों ने पार्किंग को छिपा दिया है या फिर होटल के मालिकों का रसूख इतना ज्यादा है वे मेहमानों की गाड़ियां हाईवे पर भी पार्क करवा सकते हैं। वैसे अनियमिमताएं और भी हैं और अगर विजिलेंस इसकी जांच करे तो बहुत कुछ सामने आ सकता है। एक और बात ये कि 5 स्टार होटल में तो ज्यादा लग्जरी सुविधाएं होती हैं और मैरिटोन में उतनी सुविधाएं मौजूद नहीं हैं और ये सिर्फ 5 स्टार होटल जितना किराया लेने के लिए दावा किया जा रहा है कि होटल 5 स्टार है।दरअसल होटलों को रैंकिंग देने के लिए केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के अधीन एक कमेटी है, जो यही काम करती है। इसे होटल एंड रेस्टोरेंट अप्रूवल एंड क्लासिफेक्शन कमेटी के नाम से जाना जाता है। आज के समय में यह कमेटी रेटिंग देने से पहले कुछ पैरामीटर पर जांच करती है. जैसे कि रूम, बाथरूम का साइज, कमरे के हिसाब से एसी का साइज, पब्लिक एरिया, लॉबी, रेस्टोरेंट, बार, शॉपिंग, कॉन्फ्रेंस हॉल, बिजनेस सेंटर, हेल्थ क्लब, स्विमिंग पूल, पार्किंग, दिव्यांग लोगों के लिए खास सर्विस, फायर फाइटिंग मेजर्स, सिक्योरिटी आदि मुद्दों को ध्यान में रखा जाता है। अब मैरिटोन होटल के पास 5 स्टार होटल होने का दावा करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य और मंजूरियां हैं या नहीं यह जांच का विषय है। आने वाले दिनों में और खुलासे होने की संभावना है।
बड़ा सवाल ?
-क्या होटल 5 स्टार रेटिंग के पैरामीटर को पूरा करता है?
– क्या केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय की कमेटी ने रेटिंग का पत्र दिया?
– रेटिंग में तय एसी के साइज, बार, स्वीमिंग पूल आदि बने?







