जो लोग गुस्सा करते हैं, जिनमें धैर्य नहीं है, वे कभी भी भक्ति नहीं कर पाते हैं : नवजीत भारद्वाज

by Sandeep Verma
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जालंधर : मां बगलामुखी धाम नजदीक लम्मां पिंड चौंक होशियारपुर रोड़ पर स्थित गुलमोहर सिटी में धाम के संस्थापक एवं संचालक नवजीत भारद्वाज की अध्यक्षता में साप्ताहिक मां बगलामुखी हवन यज्ञ करवाया गया। सबसे पहले ब्राह्मणों द्वारा नवग्रह, पंचोपचार, षोढषोपचार, गौरी, गणेश, कुंभ पूजन, मां बगलामुखी जी के निमति माला जाप कर मुख्य यजमान समीर कपूर से सपरिवार पूजा अर्चना उपरांत हवन यज्ञ में आहुतियां डलवाईं । इस यज्ञ में उपस्थित मां भक्तो को आहुतियां डलवाने के बाद नवजीत भारद्वाज ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा भक्ति वे लोग ही कर पाते हैं, जिनका मन शांत है और जो धैर्य धारण किए रहते हैं। इन गुणों के बिना भक्ति कर पाना बहुत ही मुश्किल है। इस संबंध में एक लोक कथा प्रचिलत है। कथा के अनुसार पुराने समय में एक व्यक्ति गुस्सा बहुत करता था। उसमें धैर्य की भी कमी थी। घर में छोटी-छोटी बातों पर वह क्लेश करने लगता था। घर में रोज वाद-विवाद होते थे, एक दिन दुखी होकर वह जंगल की ओर चल दिया। जगंल में एक संत कुटिया बनाकर रह रहे थे। वह व्यक्ति संत के पास पहुंचा और बोला कि गुरु जी, मुझे आपना शिष्य बना लें। मुझे संन्यास लेना है। मैं मेरा घर-परिवार सब कुछ छोड़कर अब भक्ति करना चाहता हूं। संत ने उससे पूछा कि पहले तुम ये बताओं कि क्या तुम्हें अपने घर में किसी से प्रेम है व्यक्ति ने कहा कि नहीं, मैं अपने परिवार में किसी से प्रेम नहीं करता। मेरे घर में बात-बात पर झगड़े होते हैं। कोई मेरी बात नहीं मानता है। संत ने कहा कि क्या तुम्हें अपने माता-पिता, भाई-बहन, पत्नी और बच्चों में से किसी से भी लगाव नहीं है। व्यक्ति ने कहा कि गुरु जी मेरे घर के सभी लोग स्वार्थी हैं। मुझे किसी से लगाव नहीं है, इसीलिए मैं सब कुछ छोड़कर संन्यास लेना चाहता हूं। संत ने कहा कि तुम मुङो माफ करो। मैं तुम्हें संन्यासी नहीं बना सकता। तुम्हारा मन अशांत है, तुम गुस्सा करते हो, तुममें धैर्य नहीं है, संन्यासी वही बन सकता है, जिनमें ये बुराइयां नहीं होती हैं। मैं तुम्हारे अशांत मन को शांत नहीं कर सकता। संत ने आगे कहा कि भाई अगर तुम्हें अपने परिवार से थोड़ा भी स्नेह होता तो मैं उसे और बढ़ा सकता था, अगर तुम अपने माता-पिता से प्रेम करते तो मैं इस प्रेम को बढ़ाकर तुम्हें भगवान की भक्ति में लगा सकता था, लेकिन गुस्सा की वजह से तुम्हारा मन बहुत कठोर हो गया है। एक छोटा सा बीज ही विशाल वृक्ष बनता है, लेकिन तुम्हारे मन में प्रेम और धैर्य का कोई भाव है ही नहीं। व्यक्ति को संत की बातें समझ आ गईं। उसने संकल्प लिया कि अब से वह गुस्सा नहीं करेगा और धैर्य से काम लेगा। इसके बाद वह अपने परिवार में लौट गया। बदले स्वभाव की वजह से उसके परिवार में सबकुछ ठीक हो और उसका मन भक्ति में भी लगने लगा।नवजीत भारद्वाज ने बताया कि मां बगलामुखी जी के निमित्त सम्पूर्ण फलदाई आलौकिक मासिक हवन यज्ञ का आयोजन 29 अक्टूबर रविवार को मंदिर परिसर में किया जा रहा है उन्होंने सभी मां भक्तजनों से इस सु- अवसर पर हवन-यज्ञ में सम्मिलित होने का आवाहन किया।इस अवसर पर राकेश प्रभाकर,जसविंदर सिंह,अमरजीत सिंह, केविंन शर्मा,गौरी शर्मा, मनीष कुमार,बावा खन्ना,संजय,बावा जोशी,भानू मल्होत्रा, बलदेव राज,विनोद खन्ना, दिशांत शर्मा,अभिलक्षय चुघ,सोनू छाबड़ा, सुनील जग्गी, अशोक शर्मा, अजीत कुमार, नवदीप सिंह,उदय,हरविंदर सिंह,सौरभ मल्होत्रा,प्रिंस, राकेश, डॉ मुकेश गुप्ता,केहर सिंह, प्रदीप शर्मा,ठाकुर बलदेव सिंह,प्रवीण, सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।आरती उपरांत विशाल प्रसाद रूपी कढी चावल का लंगर भंडारे का भी आयोजन किया गया।

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