जालंधर: मां बगलामुखी जी के सिद्ध स्थल मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नजदीक लम्मां पिंड चौक में मां बगलामुखी जी के निमित्त श्रृंखलाबद्ध दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन मंदिर परिसर में मां बगलामुखी धाम के संचालक एवं संस्थापक नवजीत भारद्वाज की देख-रेख में हुआ। सर्व प्रथम मुख्य यजमान सौरभ अरोडा से वैदिक रीति अनुसार गौरी गणेश, नवग्रह, पंचोपचार, षोडशोपचार, कलश, पूजन उपरांत ब्राह्मणों ने आए हुए सभी भक्तों से हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई। मां बगलामुखी जी के निमित्त भी माला मंत्र जाप एवं हवन यज्ञ में विशेष रूप आहुतियां डाली गई। हवन-यज्ञ की पूर्णाहुति के उपरांत नवजीत भारद्वाज ने आए हुए मां भक्तों हुए मां भक्तों से अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भगवान श्रीराम प्रतिदिन प्रात:काल उठकर सबसे पहले मां-पिता और गुरु के चरणों में सिर-झुकाकर आशीर्वाद प्राप्त करते थे। इसका कारण यह था कि वह जानते थे कि इनके आशीर्वाद में बड़ी ताकत होती है। ईश्वर का आशीर्वाद फलित होने में वक्त लग सकता है लेकिन माता-पिता का आशीर्वाद तुरंत असर दिखाता है।माता-पिता के आशीर्वाद में इतनी ताकत है कि वह साधारण को भी आसाधरण योग्यता और सम्मान दिला सकती है। इसका प्रमाण पौराणिक कथाओं में मिलता है। माता-पिता की सेवा भक्ति और आशीर्वाद से श्रवण कुमार की कीर्ति अमर हो गई। श्रवण कुमार को मोक्ष की प्राप्ति हुई और नक्षत्रों के रूप में दिव्य स्थान प्राप्त हुआ।भगवान गणेश जी प्रथम पूज्य बने यह भी माता-पिता का आशीर्वाद से संभव हुआ। इस संदर्भ में नवजीत भारद्वाज जी ने एक कथा से मां भक्तों को बताते हुए कहा कि एक बार सभी देवी देवता आशुतोष भगवान शिव के पास कैलाश पर पहुंचे सभी एक-दूसरे से स्वयं को बड़ा बताने लगे। सभी देवी-देवताओं को मैं बड़ा हूं, मैं बड़ा हूं कहते देखकर भगवान शिव ने सर्वश्रेष्ठ देव के चयन के लिए एक योजना बनाई। भगवान शिव ने सभी देवों को सम्बोधित करते हुए कहा उसी देव की सर्वप्रथम पूजा होगी जो सबसे पहले पूरे ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाकर आएगा।भगवान शिव के इस निर्देश को सुनते ही सभी देवी देवता अपने-अपने वाहन में आरूढ़ होकर ब्रह्माण्ड की परिक्रमा के लिए चल पड़े। लेकिन बुद्घि ज्ञान के दाता भगवान गणेशजी ने मां पार्वती से निवेदन किया कि हे मां! आप भगवान शिव के समीप बैठ जाइए। मां पर्वती के समीप में बैठ जाने के बाद भगवान गणेश जी ने अपने वाहन चूहे पर बैठकर पूज्य पिता तथा मां पर्वती की तीन बार परिक्रमा की।परिक्रमा करने के बाद उन्होंने कहा मेरे लिए मेरा सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड मेरे मां और पिता ही हैं। इसलिए मैंने यथार्थ ब्रह्माण्ड की परिक्रमा की है। इस भावमय उक्ति के द्वारा भगवान शिव बहुत खुश हुए और उन्होंने गणेशजी को सभी देवों में अग्रपूजा के सम्मान से नवाजा। वस्तुत: गणेशजी के रोम-रोम में माता-पिता के प्रति श्रद्घा भाव था। उन्होंने माता-पिता की प्रदक्षिणा करके ही अग्रपूजा का अधिकार प्राप्त किया।माता-पिता संस्कार देकर संतान को शिष्ट बनाते हैं, उसके लिए अपना सुख चैन सब लुटा देते हैं। जिन्होंने जिगर का खून देकर पाला, बाहों के झूले में झुलाया खुद गीले में सोकर बच्चे को सूखे बिस्तर में सुलाया, अपने कंधे पर बिठाया, दुनिया को देखने की व्यवस्था की, वे साधरण नहीं होते, उन्हें महत्व देना सीखिए। मां जो प्रार्थना करती हैं उनकी प्रार्थनाएं साधरण नहीं होती। दुनिया में मां की ममता और पिता की सुरक्षा की कोई बराबरी नहीं। भगवान के प्रति भी मनुष्य ने जो संबोधन दिए उनमें कहा, तू ही माता है, तू ही पिता है, बन्धु है सखा है। मां बाप सबसे महान हैं, उन्हें आदर-सम्मान देना सीखें। बड़ों का आशीर्वाद और छाया मिलती रहे तो सौभाग्य जगता है।इस अवसर पर रोहित भाटिया,राकेश प्रभाकर, अजीत कुमार, नवदीप,बलजिंदर सिंह, समीर कपूर,अमरजीत सिंह,वावा जोशी, नवदीप, उदय,गुलशन शर्मा, अश्विनी शर्मा धूप वाले, मुनीश शर्मा, दिशांत शर्मा,अमरेंद्र शर्मा, मानव शर्मा, बावा खन्ना, विवेक शर्मा, शाम लाल, एडवोकेट राज कुमार, अभिलक्षय चुघ,सुनील,राजीव, कपिल ,राजन शर्मा, अनुज,प्रिंस, ठाकुर बलदेव सिंह,गौरी केतन, अवतार सैनी,रिंकू सैनी, राकेश महाजन,धर्मवीर सिंह,अनीश शर्मा,दिनेश शर्मा, अजय मल्होत्रा, अजीत साहू,प्रवीण,भारत भूषण,दीपक ,अनीश शर्मा, साहिल,सुनील जग्गी सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।आरती उपरांत प्रसाद रूपी लंगर का भी आयोजन किया गया