ईश्वर के उद्देश्यों और भावनाओं से जुड़ा हुआ संत ही सच्चा संत : नवजीत भारद्वाज

by Sandeep Verma
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जालंधर  : मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नजदीक लम्मा पिंड चौक जालंधर में श्री शनिदेव महाराज जी के निमित्त श्रृंखलाबद्ध सप्ताहिक दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन मंदिर परिसर में किया गया।
सर्व प्रथम ब्राह्मणों द्वारा मुख्य यजमान रुपम प्रभाकर से विधिवत वैदिक रीति अनुसार पंचोपचार पूजन, षोढषोपचार पूजन ,नवग्रह पूजन उपरांत हवन यज्ञ में आहुतियां डलवाई गई।सिद्ध मां बगलामुखी धाम के प्रेरक प्रवक्ता नवजीत भारद्वाज जी ने दिव्य हवन यज्ञ पर उपस्थित प्रभु भक्तों को विजयदशमी की शुभकामनाएं देते हुए साधु संतों का समाज के प्रति स्नेह के बारे में ब्याखान करते हुए कहा कि सच्चा संत वही है, जो सहज भाव से विचार करे और आचरण करे। जब उसका मान हो, तब उसे अभिमान न हो और कभी उसका अपमान हो जाए, तो उसे अहंकार नहीं करना चाहिए। हर हाल में उसकी वाणी मधुर, व्यवहार संयमशील और चरित्र प्रभावशाली होना चाहिए। संत शब्द का अर्थ ही है, सज्जन और धार्मिक व्यक्ति।सच्चा संत सभी के प्रति निरपेक्ष और समान भाव रखता है, क्योंकि सच्चा संत, हर इंसान में भगवान को ही देखता है, उसकी नजर में हर व्यक्ति में भगवान वास करते हैं, इसलिए उस पर किसी भी तरह के व्यवहार का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। सच्चा संत वही है, जिसने अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया हो और वह हर तरह की कामना से मुक्त हो।नवजीत भारद्वाज जी ने कबीर दास के दोहे का अनुसरण करते हुए कहा कि साधु प्रेम-भाव का भूखा होता है, वह धन का भूखा नहीं होता। जो धन का भूखा होकर लालच में फिरता रहता है, वह सच्चा साधु नहीं होता। ईश्वर के उद्देश्यों और भावनाओं से जुड़ा हुआ संत ही सच्चा संत है। कहा गया है कि साधु ऐसा चाहिए, जो हरि की तरह ही हो।नवजीत भारद्वाज जी ने प्रभु भक्तों को एक प्रेरक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि एक बार भगवान एक जंगल से गुजर रहे थे, तो वहां उन्हें एक संत मिले। भगवान ने उनसे कहा कि जाओ, तुम दूसरों की भलाई करो। संत ने कहा, महाराज यह मेरे लिए बहुत कठिन कार्य है, क्योंकि मैंने आज तक किसी को दूसरा समझा ही नहीं है, फिर मैं दूसरों का कल्याण कैसे करूंगा? भगवान संत से प्रभावित हुए और बोले अब आपकी छाया जिस पर भी पड़ेगी, उसका कल्याण होगा। संत ने कहा-हे देव मुझ पर एक और कृपा करें। मेरी वजह से किस-किस की भलाई हो रही है, इसका पता मुझे न चले, नहीं तो इससे उत्पन्न अहंकार मुझे पतन के मार्ग पर ले जाएगा। संत के इस वचन को सुनकर भगवान अभिभूत हो गए।नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि परोपकार करने वाले सच्चे संत के ऐसे ही विचार होते हैं। असल में गेरुए वस्त्र पहनने और हिमालय पर चले जाने मात्र से कोई साधु नहीं बन जाता, बल्कि सच्चा संपूर्ण मानवता के लिए समर्पित होकर सबके विकास को गति देता है। कहा गया है कि संत की पहचान इस बात में नहीं है कि उसे शास्त्रों का कितना अधिक ज्ञान है, बल्कि उसके द्वारा लोकहित में किये गए कार्य उसे सच्चा संत बनाते हैं। सच्चे संत का इस संसार में बड़ा महत्व है, क्योंकि वह ईश्वर का एक प्रतिनिधि होता है, सच्चा संत का पूरा जीवन ईश्वर को समर्पित होता है।
इस अवसर पर राकेश प्रभाकर, समीर कपूर, अमरेंद्र कुमार शर्मा, नवदीप, उदय ,अजीत कुमार , नरेंद्र,रोहित भाटिया, अमरेंद्र सिंह,बावा खन्ना, विनोद खन्ना, नवीन जी, प्रदीप, सुधीर, सुमीत, डॉ गुप्ता,सुक्खा अमनदीप , अवतार ,ऐडवोकेट राज कुमार,गौरी केतन शर्मा,सौरभ , नरेश,अजय शर्मा,दीपक , किशोर,प्रदीप , प्रवीण,राजू, सोनू, गुलशन शर्मा,संजीव शर्मा,मुकेश, रजेश महाजन ,अमनदीप शर्मा, गुरप्रीत सिंह, विरेंद्र सिंह, अमन शर्मा,वरुण, नितिश, भोला शर्मा,दीलीप, लवली, लक्की, रोहित , मोहित , विशाल , अश्विनी शर्मा , रवि भल्ला, भोला शर्मा, जगदीश, सुनील जग्गी, नवीन कुमार, निर्मल,अनिल,सागर,दीपक, प्रिंस कुमार, पप्पू ठाकुर, बलदेव भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।हवन-यज्ञ उपरांत विशाल लंगर भंडारे का आयोजन किया गया।

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