जालंधर : ऐसा माना जाता है कि जिस व्यक्ति पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है, उसे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलने लगती है। वहीं, इसके विपरीत पितरों के नाराज होने पर पितृ दोष का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितृदोष मनुष्य के विकास में बाधक बनता है। इस बारे में ज्तोतिषाचार्य आशु मल्होत्रा बताते हैं कि हिंदू पुराणों में माना गया है कि पितृ दोष उसी व्यक्ति तक सीमित नहीं रहता बल्कि उसकी आने वाली सात पीढिय़ों को भी प्रभावित कर सकता है। अगर किसी जातक के वैवाहिक जीवन में विवाद हो रहे हैं और फिर वैवाहिक संबंध टूटने की नौबत आ गई है तो समझ लीजिए पितृदोष है। इसके अलावा घर में चिराग जलाकर उसकी सेवा न करना, परिवार के किसी सदस्य की मौत होने पर अंतिम संस्कार न करना, घर में किसी सदस्य को गंभीर बीमारी होने पर इलाज पर लाखों रुपए खर्च आना पितृदोष की निशानियां अथवा प्रभाव कही जा सकती हैं। पितृदोष कुलदेवी को न मनाने, पितरों का श्राद्ध न करने और उनकी इच्छाओं के विरुद्ध कार्य करने से भी होता है। ॉ ज्तोतिषाचार्य आशु मल्होत्रा ने बताया कि इन प्रभावों से बचने के लिए कुछ उपाय किए जाने चाहिएं। जैसे कि कुलदेवी का पता करें और वहां जाएं। साल में एक बार या दो बार कुलदेवी स्थल पर जाकर माथा टेकें। अगर आपके घर में किसी सदस्य की मृत्यु पर अंतिम संस्कार नहीं हुआ और आप पितृ दोष से युक्त हैं तो फिर आपको किसी लावारिस लाश पर सफेद कपड़ा डालना चाहिए।