सांसदों की पेंशन पर हो रहा है बवाल, तो जानिए आखिर उन्हें कितनी पेंशन मिलती है?

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अग्निवीर स्कीम में पेंशन का मुद्दा सबसे अहम है और इस वजह से सांसदों की पेंशन (Member Of Parliament Pension) की भी चर्चा हो रही है. कुछ दिनों तक इस बात पर भी डिबेट हो रही है कि अगर सासंदों को पेंशन दी जा सकती है तो अग्निवीरों को पेंशन क्यों नहीं दी जा रही है. यहां तक कुछ पार्टियों ने यह सवाल उठाया कि सांसद, विधायकों को मिलने वाली पेंशन की जगह अग्निवीरों (Agneepath Scheme) को पेंशन मिलनी चाहिए. कई नेताओं ने खुद इसमें अपना सपोर्ट जताया है. जैसे हाल ही में बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने भी अग्निपथ योजना को लेकर कहा है कि सभी देशभक्त सांसद अपनी पेंशन का त्याग कर सरकार का बोझ कम नहीं कर सकते?

साथ ही उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्र रक्षकों को पेंशन का अधिकार नहीं है तो मैं भी खुद की पेंशन छोड़ने को तैयार हूं. इसके बाद से फिर ये मुद्दा उठ गया कि आखिर सांसदों को पेंशन मिल सकता है तो अग्निवीरों को क्यों नहीं. साथ ही चर्चा इस बात पर भी है कि सांसदों को कार्यकाल पूरा नहीं करने पर भी पेंशन मिलती है. ऐसे में जानते हैं कि आखिर सासंदों को पेंशन मिलने के क्या नियम हैं और सासंदों को कितनी पेंशन मिलती है.

क्या सांसदों को पेंशन मिलने के नियम?

लोकसभा की आधिकारिक वेबसाइट में संसद सदस्य वेतन, भत्ता और पेंशन अधिनियम 1954 की धारा 8क में बताया गया है कि ऐसे हर व्यक्ति को पेंशन का भुगतान किया जाएगा, जिसमें किसी भी अवधि तक अंतरिम संसद के सदस्य अथवा संसद के किसी भी सदन के सदस्य के रुप में सेवा की हो, उसे प्रतिमाह पेंशन दी जाएगी. इससे ऐसे समझा जा सकता है कि जैसे कोई व्यक्ति अगर कुछ दिन के लिए भी सांसद बनता है तो उसे जीवनभर पेंशन मिलती है. अगर कोई सांसद अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए तो भी उसे पेंशन का भुगतान किया जाता है.

इसके साथ है नियम ये भी है कि अगर कोई नेता पूर्व सासंद की पेंशन ले रहा है और फिर से मंत्री बन जाता है तो उसे मंत्री पद के वेतन के साथ ही पेंशन मिलती है. इसके अलावा जैसे मान लीजिए कोई नेताजी पांच बार सासंद बनते हैं तो उनकी पेंशन में भी उसी हिसाब से बढ़ोतरी हो जाएगी. यानी जितने ज्यादा दिन सासंद रहेगा, उतनी ही ज्यादा पेंशन मिलेगी. इतना ही नहीं, जैसे मान लीजिए अगर कोई व्यक्ति पहले विधायक था और फिर सांसद बन जाता है तो ऐसा नहीं है कि उसे सिर्फ सांसद की पेंशन मिलेगी. इस स्थिति में उसे विधायक और सासंद दोनों की पेंशन मिलेगी.

कितनी मिलती है पेंशन?

अब बात करते हैं कि आखिर सासंदों को पेंशन कितनी मिलती है. दरअसल, कुछ साल पहले 2010 में सासंदों के कानून में संशोशन किया गया था. इसके अनुसार, सासंदों को हर महीने बीस हजार रुपये देने का प्रावधान है. ये पेंशन हर किसी को दी जाएगी, चाहे कार्यकाल पूरा भी ना हो. अगर कोई व्यक्ति पांच साल से अधिक सालों की अवधि तक सेवा करता है तो उसे पांच साल की अवधि के बाद हर साल में हर महीने 1500 रुपये के हिसाब से अतिरिक्त पेंशन दी जाती है.

पेंशन की राशि निर्धारित करने के लिए सदस्य के रुप में पूरी की गई अवधि की गणना के लिए नौ महीने या उससे अधिक को एक पूरा साल माना जाता है. साथ ही कोई पूर्व सांसद केंद्र सरकार, राज्य सरकार अथवा किसी अन्य सोर्स से होने वाले पेंशन का भी हकदार होगा. इसके अलावा सांसद के परिवार को भी कुटुंब पेंशन के रूप में मौत के बाद भी पेंशन मिलती है. इसलिए एक बार सांसद बनने के बाद सांसद और उसके परिवार को लंबे समय तक पेंशन मिलती है.

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