जालंधर : दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या देवी बगलामुखी हैं। देवी पार्वती के उग्र स्वरूप के रूप में पूज्य बगलामुखी मां की जयंती वैशाख शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह इस साल 5 मई को मनाई जाएगी। उसी दिन मां बगलामुखी की पूजा और साधना की जाएगी। तंत्र-मंत्र की सिद्धि के लिए मां बगलामुखी की साधना की जाती है। वह प्रसन्न होने पर अपने साधकों को मनोवांक्षित फल देती हैं। आप को बता दें कि देवी बगलामुखी का रंग सोने की तरह पीला है। इसीलिए उनकी पूजा करने के समय पीले कपड़े पहने जाते हैं और पीले रंग की ही अन्य सामग्रियों का भी इस्तेमाल किया जाता है। उनकी साधना से पहले हरिद्रा गणपति की पूजा और आह्वान किया जाता है।पौराणिक मान्यता के अनुसार, सबसे पहले सनकादि ऋषियों को ब्रह्माजी ने बगलामुखी साधना का उपदेश दिया था। उनसे प्रेरणा पाकर देव ऋषि नारद ने मां बगलामुखी की साधना की थी। देवी के दूसरे उपासक भगवान विष्णु ने भगवान परशुराम को यह विह थी।







