

प्रकृति पर संकट के मुख्य कारण मानवीय गतिविधियाँ हैं, जैसे वनों की कटाई, शहरीकरण, औद्योगीकरण, अत्यधिक मछली पकड़ना, और भूमि का दुरुपयोग. ये कारण जलवायु परिवर्तन, आवासों का नुकसान, प्रदूषण और जैव विविधता के ह्रास को बढ़ाते हैं. वैश्विक जनसंख्या वृद्धि और बढ़ती आर्थिक गतिविधियों के कारण प्रकृति पर दबाव बढ़ रहा है.आप को बता देना चाहते हैं कि कृषि के लिए जंगलों और घास के मैदानों को हटाना, जिससे प्राकृतिक आवास नष्ट होते हैं और जैव विविधता को नुकसान पहुँचता है. मानवीय गतिविधियों से निकलने वाले ग्रीनहाउस गैसों के कारण वैश्विक तापमान में वृद्धि होती है, जिससे मौसम में अनियमितता और प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं जल, वायु और भूमि प्रदूषण प्राकृतिक संसाधनों को दूषित करता है और पारिस्थितिकी तंत्र को हानि पहुँचाता है. आप को बता दें कि स्वच्छ जल की कमी और प्रदूषण के कारण बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. प्रकृति का संकट मानवीय गतिविधियों और जलवायु परिवर्तन के बीच एक जटिल संबंध बनाता है, जहाँ एक समस्या दूसरे को बढ़ाती है.









