देश भर में महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी को मनाया जाएगा। शिव मंदिरों में इस पर्व पर विशेष आयोजन किए जाएंगे। देश के 12 ज्योर्तिलिंगों में से केवल महाकालेश्वर मंदिर ही एकमात्र ऐसा ज्योर्तिलिंग है, जहां नौ दिवसीय शिव नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस दौरान भगवान महाकाल नौ दिनों तक अलग-अलग स्वरूपों में भक्तों को दर्शन देते हैं। महाकाल मंदिर के पुजारी पं. अभिषेक शर्मा बाला गुरू ने बताया कि महाशिवरात्रि पर्व को लेकर मान्यता है कि इस दिन शिवजी का देवी पार्वती से विवाह हुआ था। शिव नवरात्रि इसी विवाह के पहले का उत्सव है। ये उत्सव सिर्फ उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में ही मनाया जाता है, जो महाशिवरात्रि से नौ दिन पहले शुरू होता है। इन नौ दिनों में भगवान महाकाल को चंदन का लेप और मेहंदी लगाई जाती है। साथ ही नौ दिनों तक भगवान महाकाल का मोहक श्रृंगार के साथ ही पूजन, अभिषेक और अनुष्ठान भी किया जाता है। शिव नवरात्रि पर्व के अंतिम दिन यानी महाशिवरात्रि पर भगवान महाकाल को दूल्हे के रूप में सजाया जाता है और कई क्विंटल वजन का सेहरा धारण करवाया जाता है। पूरे साल में सिर्फ एक बार ही भगवान महाकाल के इस रूप के दर्शन होते हैं, इसलिए इसे देखने के लिए भक्तों की कतार लगती है। भगवान महाकाल का सेहरा बनाने के लिए विदेशी फूलों का उपयोग भी किया जाता है जो विशेष तौर पर ऑर्डर देकर मंगवाए जाते हैं।
नौ दिनों तक होते हैं श्रृंगार
शिव नवरात्रि पर्व के पहले दिन भगवान महाकाल का चंदन से श्रृंगार किया जाता है और जलाधारी पर हल्दी अर्पित की जाती है।
दूसरे दिन भगवान महाकाल का शेषनाग के रूप में श्रृंगार किया जाएगा।
शिव नवरात्रि के तीसरे दिन भगवान महाकाल का घटाटोप श्रृंगार किया जाएगा।
चौथे दिन भगवान महाकालेश्वर का छबीना श्रृंगार होगा।
शिव नवरात्रि के पांचवे दिन भगवान महाकाल होलकर रूप में भक्तों को दर्शन देंगे।
छठे दिन महाकाल मनमहेश स्वरूप में दिखाई देंगे।
शिव नवरात्रि के सातवें दिन भगवान शिव के साथ देवी पार्वती भी दिखाई देंगी। इसे उमा-महेश श्रृंगार कहा जाता है।
आठवें दिन महाकाल का श्रृंगार शिव तांडव स्वरूप में होगा।
नवरात्रि के अंतिम दिन यानी महाशिवरात्रि पर भगवान महाकाल दूल्हे के रूप में दर्शन देते हैं। जिसे सेहरा दर्शन कहा जाता है।