जालन्धर ( एस के वर्मा ) : रुद्रसेना संगठन द्वारा मां बगलामुखी जयंती को बहुत श्रद्धा पूर्वक मनाया गया रूद्रसेना संगठन से चेयरमैन दयाल वर्मा बताया कि दस महाविद्या में आठवीं महाविद्या मां बगलामुखी जी का स्थान है , आदिपारा महाशक्ति हरिद्रा कुंड से प्रकट हुई , श्री हरि जी की प्रार्थना पर , एक शक्तिशाली राक्षस को जीतने के लिए , जिसने अपनी जीभ से तबाही मचाई , महाविद्या ने उसे मारने से पहले उसकी जीभ को लकवा मार दिया (स्तम्बित कर दिया ) स्तंभन का प्रतिनिधत्व करती है उसकी ऊर्जा वाणी को जोड़ने वाली नसों से अत्यधिक जुड़ी हुई है , इंद्रियों को शांत करती है इस प्रकार बायां मस्तिष्को और दांया मस्तिष्क दोनो उस व्यक्ति के लिए मजबूत हो जाते हैं जो जाप कर रहा है और उस व्यक्ति के तंत्रिका तंत्र (स्तिथि)को कमजोर कर देता है जिसके लिए प्रयोग किया जाता है , इस साधना के लिए उचित गुरु/ब्राह्मण के निर्देशों और शुद्ध भाव की आवश्कता होती है मां बगलामुखी जी के मंत्रो में पीली किरणों की उच्च ऊर्जा होती है जो नकारत्मक ऊर्जा को खत्म कर देती है तेज स्वर्णित किरणे दिव्य ऊर्जा से नकारत्मक स्तिथि और दुश्मन को शुद्ध /शांत करने में सक्षम है इसलिए मां पीतांबरा है जो पहने है पीले वस्त्र या पीले रंग की आभा में,चमक लगभग सभी को मोहित कर रही हैं दस महाविद्या में से एक की साधना के लिए गुरुदीक्षा की आवश्कता होती है मां बगलामुखी जी आठवीं महाविद्या इनके अनुष्ठान से कोर्ट कचहरी , असाध्य रोग मुक्ति और नकारत्मक ऊर्जा को शांत किया जाता है महाविद्या जी की पूजा भगवान राम और महाभारत में पांडवो द्वारा की गई शास्त्रों में उल्लेख है 1970 में दतिया में जब ब्राह्मणों द्वारा तांत्रिक अनुष्ठान किया गया तो युद्ध रुक गया यह बात दतिया के बजुर्ग संत बताते हैं , महाविद्या बगलामुखी जी के प्रमुख मंदिर नलखेड़ा अगर(मध्य प्रदेश) ,बनखंडी और कोटला (हिमाचल प्रदेश) , दतिया ग्वालियर में हैं महाविद्या जी की जयंती शुक्ल पक्ष अष्टमी को वैसाख माह में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाई जाती है अध्यक्ष दिनेश करतार पुरिया , लक्की बेदी , आशु मल्होत्रा लाल किताब वाले , करण गंगोत्रा , आजाद पंडित , मास्टर बिक्रम , ऋषभ शर्मा , अनिल कुमार , अगम राजपुरा , राहुल कनाडा , पंडित दिनेश जी द्वारा मां बगलामुखी मां का हवन /यज्ञ में विधिपूर्वक आहुति डाली गई । विश्व शांति के लिए प्रार्थना की गई ।