डिप्टी कमिश्नर ने नवजात लावारिस बच्चों के जीवन की रक्षा के लिए उन्हें ‘पंघूडे’ में डालने की अपील की

by Sandeep Verma
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जालंधर : डिप्टी कमिश्नर विशेष सारंगल ने ऐसे माता-पिता, जो अपने बच्चों का पालन-पोषण करने में असमर्थ है, उन बच्चों की जिदंगी की रक्षा के लिए ‘पंघूडा’ योजना की मदद लेने को कहा। यहां जिला प्रशासकीय परिसर में जिला बाल कल्याण और सुरक्षा कमेटी (डी.सी.पी.सी) की एक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे, जिसमें उन्होंने ‘पंघूडा’ योजना को जिले में लावारिस बच्चों, विशेषकर लड़कियों के लिए एक सुरक्षित आश्रय बताया। उन्होंने कहा कि यह अनूठी योजना अवैध लिंग चयन और नवजात शिशुओं को कूड़े या सड़क किनारे फेंकने पर रोक लगाने के उद्देश्य से शुरू की गई है। जानकारी देते हुए डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि यह योजना नारी निकेतन और भाई घनैया जी चैरिटेबल ट्रस्ट (यूनिक होम) दो स्थानों पर चल रही है। श्री सारंगल ने कहा कि अनचाहे बच्चों को इन स्थानों के बाहर पालने में रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों के माता-पिता या तो बच्चे नहीं चाहते या उन्हें पालने में असमर्थ है, इसलिए वे बच्चों को फेंक देते है।डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि ‘पंघूडा’ योजना ऐसी घटनाओं को काफी हद तक काबू करने में सक्षम है और इस योजना के तहत पालन-पोषण पाने वाले बच्चे बढिया जिंदगी जी सकते है क्योंकि कई खुशहाल परिवारों ने कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद उन्हें गोद लिया है। उन्होंने कहा कि यह योजना उन माता-पिता के लिए एक उचित सहारे की तरह है जो अपने बच्चों का पालन-पोषण करने में असमर्थ है।उन्होंने जिला प्रोग्राम अधिकारी मनजिंदर सिंह को ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत बाल गृहों में रहने वाले बच्चों के लिए कोचिंग कक्षाएं शुरू करने के निर्देश दिए ताकि उन्हें यहां बढिया शैक्षणिक सुविधाएं मिल सकें। यह कोचिंग क्लासें जिले के सभी बाल गृहों में लगाई जाएगी ,जिसके लिए प्रशासन द्वारा विशेष अध्यापक नियुक्त किए जाएगें।इसी प्रकार, डिप्टी कमिश्नर ने जुवेनाईल जस्टिस एक्ट, पोक्सो एक्ट, बाल मजदूरी एक्ट, बाल विवाह सुरक्षा एक्ट आदि के बारे में बच्चों और शिक्षकों को जागरूक करने के लिए सभी शैक्षणिक संस्थानों में जागरूकता प्रोग्राम शुरू करने के भी निर्देश दिए।उन्होंने भीख मांगने वाले बच्चों को भीख मांगने से हटाने , उनके पुनर्वास के लिए किए जा रहे प्रयासों की भी समीक्षा की और अधिकारियों से इस काम को प्राथमिकता देने का आग्रह किया। इस दौरान डिप्टी कमिश्नर ने अधिकारियों को बच्चों के घरों में योग, खेल प्रोग्राम, कला और शिल्प के अलावा विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जिला प्रशासन इन बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए वचनबद्ध है और उनके बचपन की सुरक्षा के लिए कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी।बैठक में अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर(ज.) मेजर डा. अमित महाजन, डी.पी.ओ. मनजिंदर सिंह, डी.सी.पी.ओ. अजय भारती, सी.डब्ल्यू.सी. के सदस्य बलदेव सिंह, सहायक श्रम कमिश्नर प्रदीप कुमार, एल.पी.ओ. संदीप कुमार एवं अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

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