जो धन भगवान से विमुख होकर प्राप्त होता है वह कभी यश नहीं दिला सकता : नवजीत भारद्वाज

by Sandeep Verma
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जालंधर: मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नजदीक लम्मा पिंड चौक जालंधर में श्री शनिदेव महाराज जी के निमित्त श्रृंखलाबद्ध सप्ताहिक दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन किया गया।सर्व प्रथम ब्राह्मणों द्वारा मुख्य यजमान अमित कुमार से सपरिवार विधिवत वैदिक रीति अनुसार पंचोपचार पूजन, षोढषोपचार पूजन, नवग्रह पूजन उपरांत हवन यज्ञ में आहुतियां डलवाई।मां बगलामुखी धाम के सेवादार नवजीत भारद्वाज जी ने दिव्य हवन यज्ञ पर उपस्थित प्रभु भक्तों को अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की व्याख्या करते हुए कहा कि मोक्ष आगे रहता है, धर्म उसके पीछे, उसके पीछे काम और अर्थ सबसे पीछे होता है।नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि जीवन यापन के लिए अर्थ का होना महत्वपूर्ण हैं, महत्वपूर्ण तत्व यह है कि अर्थ किस मार्ग से आया, उसका उपयोग कैसे हो रहा है और उसका संरक्षण कौन कर रहा है। भौतिक दृष्टि से यदि देखा जाए तो अयोध्या की तुलना में लंका ज्यादा समृद्धशाली थी, लेकिन वहां का अर्थ अहंकारी था। अहंकार से प्राप्त किया गया धन से अप्राप्त जैसा ही है, जो धन भगवान से विमुख होकर प्राप्त होता है वह कभी यश नहीं दिला सकता। उन्होंने कहा कि अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की क्रियाएं है वह पूरी तरह से अयोध्या में वास करती है और उसी के अनुरुप संचालन भी होता है।नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि मोक्ष के पीछे काम चलता है और मोक्ष की क्रिया है साधना और भक्ति। धर्म के पीछे अर्थ चलता है और अर्थ की क्रिया है चलते रहना। अर्थ हमेशा धर्मानुगामी होना चाहिए, धन की क्रिया है कि वह चलते रहे ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार से पानी निरंतर बहते रहता है तो उसकी निर्मलता बनी रहती है, एक स्थान पर संचित हो जाए तो वह खराब हो जाता है और फिर वह किसी उपयोग का नहीं रहता। अर्थ कभी बोलता नहीं है जिस दिन अर्थ ने बोलना शुरु कर दिया उस दिन स्थिति और भी विचित्र हो जाएगी, अर्थ हमेशा मौन रहता है। शत्रु को यदि परास्त करना है तो उसके सामने मौन होना ही बेहतर है। जैसा सानिध्य रहता है उसी के अनुरुप उसका चरित्र होता है इसलिए धन को खर्च करते समय इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि उसका उपयोग कैसे कर रहे है, केवल दान कर देने से ही उसकी सार्थकता सिद्ध नहीं हो जाती। इसी प्रकार से मोक्ष के पीछे काम चलता है और काम की क्रिया है भक्ति, भक्ति का स्वरुप हैं माता सीता है। मोक्ष के लिए शरीर का होना आवश्यक है लेकिन भक्ति तो अंत:करण से प्रभु की होनी चाहिए।इस अवसर पर अमरजीत सिंह, राकेश प्रभाकर, समीर कपूर, अमरेंद्र कुमार शर्मा, नवदीप, उदय ,अजीत कुमार , नरेंद्र,रोहित भाटिया, अमरेंद्र सिंह,बावा खन्ना, विनोद खन्ना, नवीन,सुधीर, सुमीत, बावा हलचल ,जोगिंदर सिंह, मनीष शर्मा, डॉ गुप्ता,सुक्खा अमनदीप , अवतार सैनी,ऐडवोकेट राज कुमार,गौरी केतन शर्मा,सौरभ , नरेश,अजय शर्मा,दीपक , किशोर,प्रदीप , प्रवीण,राजू, सोनू छाबड़ा, गुलशन शर्मा,संजीव शर्मा,मुकेश, रजेश महाजन ,अमनदीप शर्मा, गुरप्रीत सिंह, विरेंद्र सिंह, अमन शर्मा,नितिश, भोला शर्मा,दीलीप, लवली, लक्की, रोहित , मोहित , विशाल , अश्विनी शर्मा , रवि भल्ला, भोला शर्मा, जगदीश, सुनील जग्गी, नवीन कुमार, निर्मल,अनिल,सागर,दीपक, प्रिंस कुमार, पप्पू ठाकुर, बलदेव सिंह भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।हवन-यज्ञ उपरांत विशाल लंगर भंडारे का आयोजन किया गया।

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