धार्मिक स्वतंत्रता भी भारतीय संविधान का एक मौलिक अधिकार है: एडवोकेट महमुद प्रराचा

by Sandeep Verma
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जालंधर : भारतीय लोकतंत्र अपने व्यापक और विविध तंत्र के माध्यम से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में जाना जाता है। यहाँ न केवल विविधताओं का सम्मान किया जाता है, बल्कि संविधान ने प्रत्येक नागरिक के अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी भी दी है, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, भाषा या समुदाय से संबंधित हो। भारतीय संविधान ने इस लोकतंत्र को संवैधानिक रूप से मजबूत किया है और इसमें सभी नागरिकों, विशेषकर अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों को सुनिश्चित किया है। इसी पर चर्चा के लिए आज जालन्धर रेड क्रोस भवन में एक नेशनल कांफ्रेंस का आयोजन मुस्लिम संगठन पंजाब के प्रधान नईम खान एडवोकेट की अध्यक्षता में किया गया। जिस में मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रीमकोर्ट के परसिद्ध वकील महमूद प्राचा, आल इण्डिया लोयर कौंसिल के माहा सचिव एडवोकेट शरफुद्दीन,और अरविन्द सिंह सोहल मेंबर लोक अदालत पंजाब, तरना दल के मुखी संत बाबा लखवीर सिंह, उपस्थित रहे।मुख्य रूप से जिन मुद्दों पर बात की गई उनमें अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा मुख्य विषय रहा |एडवोकेट महमूद प्राचा ने अपने भाषण में याद दिलाया की भारतीय संविधान में ‘अल्पसंख्यक’ शब्द का स्पष्ट उल्लेख किया गया है, और इसे अल्पसंख्यक समुदायों की रक्षा के लिए कई प्रावधानों के माध्यम से संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है। संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 विशेष रूप से अल्पसंख्यकों के सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकारों की सुरक्षा करते हैं, जो उन्हें अपनी भाषा, धर्म और संस्कृति को संरक्षित करने का अधिकार प्रदान करते हैं। उन्हों ने कहा की धार्मिक स्वतंत्रता भी भारतीय संविधान का एक मौलिक अधिकार है।सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट शरफुद्दीन साहब ने कहा की आज पंजाब में इस बात की खास ज़रूरत है की हम अपने सिख, मुस्लिम, दलित, ईसाई भाइयों के साथ मिलकर लोगों में बढ़ रही बेरोजगारी की समाप्ति के लिए ऐसे संथान संचालित हों जो छोटी छोटी नोकरियां दिला सकें।कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता कर रहे एडवोकेट नईम खान ने कहा की हमारा उद्देश्य भारत और खास कर पंजाब में अल्पसंख्यक समाज को एक पलेट फार्म जमा करके भारत के संविधान को मजबूत करना है। भारत में चुनावों में भागीदारी और राजनीतिक प्रतिनिधित्व हर नागरिक का अधिकार है, चाहे वह किसी भी समुदाय या धर्म से संबंधित हो। अल्पसंख्यक समुदायों को भी अपने अधिकारों की रक्षा के लिए समान अवसर मिलना चाहिए और भारतीय लोकतंत्र में उन्हें प्रभावी रूप से अपनी आवाज उठाने का मंच प्राप्त है।अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सीनियर वायस चेयरमेन हाफ़िज़ तहसीन अहमद ने कहा की भारतीय लोकतंत्र अपनी विविधता, सहिष्णुता और समानता की नींव पर खड़ा है। संविधान ने अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है, और यह सुनिश्चित किया है कि सभी नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों का समान रूप से सम्मान प्राप्त हो। इन अधिकारों का उल्लंघन होने पर भारतीय न्यायपालिका ने हमेशा सक्रिय भूमिका निभाई है और लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा की है। हम सभी को अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा और समाज में समानता एवं सौहार्द बनाए रखने के लिए एकजुट होकर कार्य करना चाहिए।इस अवसर पर स्टेज की संचालन पंजाब केसरी, हिंद समाचार के सिनियर सहाफी मजहर आलम ने की।इस अवसर पर मुस्लिम संगठन पंजाब के चेयरमैन सैयद अली, अमजद अली खान, मोलाना वली शुमाली नदवी अमजद, मुबीन अहमद, जब्बर खान, मोहम्मद निहाल , एहसान उल हक, कारी अब्दुल सुबहान, आरिफ खान मलेरकोटला, दिलबर खान सुहानिया, कौशल शर्मा, बिशप राजकुमार मसीह, सरफराज खान, वसीम अकरम अंसारी, सिकंदर शेख, रजाए मुस्तफा, अलाउद्दीन ठेकेदार, नईम ऑप्टिकल, मोहम्मद ताहिर, अरशद ठेकेदार, मसूद आलम, अनिल सभरवाल , मौलाना अब्दुल सत्तार राजपुरा, शमशाद ठेकेदार नकोदर, मोहम्मद दानिश के अलावा पंजाब भर से सभी धर्मों के लोग उपस्थित थे।

 

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