शारदीय नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के सिद्ध स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाएगी। शास्त्रों में माता कात्यायनी को भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्री माना गया है। बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में इन्हें छठ मैया के रूप में भी जाना जाता है। माता कात्यायनी का स्वरूप सर्वाधिक सुंदर है और मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से की गई पूजा का विशेष लाभ भक्तों को प्राप्त होता है। साथ ही उन्हें भविष्य में आने वाली परेशानियों पर भी विजय प्राप्त होता है।
मां कात्यायनी का स्वरूप :
शास्त्रों के अनुसार माता का स्वरूप स्वर्ण के समान चमकीला है और उनकी चार भुजाएं हैं। प्रत्येक भुजा में माता ने तलवार, कमल, अभय मुद्रा और वर मुद्रा धारण किया है। माता कात्यायनी को लाल रंग सर्वाधिक पसंद है। किंवदंतियों के अनुसार महर्षि कात्यायन की तपस्या के बाद माता कात्यायनी ने उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया था। मां दुर्गा इन्हीं के रूप में महिषासुर का वध कर उसके आतंक से देव और मनुष्यों को भय मुक्त किया था।







