जालन्धर : राष्ट्र व समाज को समर्पित श्री पवन मल्होत्रा जी आज बेशक हमारे बीच में नहीं रहे, लेकिन उनके द्वारा सेवा के किए हुए कार्य हमेशा हमें प्रेरणा देते रहेंगे। पवन मल्होत्रा जी ने 15 साल की छोटी आयु में ही अपने पिता की मृत्यु के बाद जिन्दगी की बागडोर में जुट गए, जिसमें उनके बड़े भाई अशोक मल्होत्रा जी ने पिता के रूप में उनका मार्ग दर्शन किया। 16 वर्ष की उम्र में पवन मल्होत्रा जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संग से जुड़कर संघ परिवार को मजबूत करने का काम किया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। जिसके बाद उन्होंने सामाज कल्याण प्रति अपना योगदान देने हेतु साल 1999 में मानव संस्कार नशा मुक्ति संगठन का निर्माण किया, जिसका उद्देश्य समाज से नशे के जहर को समाज की जड़ों से निकाल फेंकना था। अपने लक्ष्य के प्राप्ति के लिए उन्होंने विभिन्न जगहों पर प्रदर्शनियां भी लगाईं, जिसमें युवाओं को नशा त्यागने के लिए प्रेरित को किया ही साथ ही सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने के लिए भी प्रोत्साहित किया। समय के साथ पवन मल्होत्रा जी की मेहनत रंग लाने लगी और महज 1 वर्ष में ही मानव संस्कार नशा मुक्ति संगठन के साथ 8000 से भी अधिक सक्रिय सदस्य जुड़े, जो आज भी निरंतर सामाजिक कल्याण हेतु निरंतर कार्यरत हैं। यहां जिक्रयोग है कि मान संस्कार नशा मुक्ति संगठन ने अब तक 457 लोगों को नशा मुक्त किया और साथ ही लगभग 2000 लोगों कभी नशा न करने का प्रण लिया।
*मरीजों की सेवा को मानते थे परम धर्म*
स्व. पवन मल्होत्रा जी कभी भी देश तथा समाज हित में अपना सहयोग देने से पीछे नहीं हटे। आप जी डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल के प्रधान भी रहे। उनका मानना था कि मरीजों की सेवा करना परम धर्म है और पैसों की कमी के कारण कोई भी मरीज ईलाज से वंचित नहीं रहना चाहिए, जिसके पवन मल्होत्रा जी ने निस्वार्थ भाव से विभिन्न अवसरों पर मरीजों के लिए निशुल्क मेडिकल कैंप लगवाए तथा खाद्य सामग्रि का वितरन भी करवाया।
*200 गायों से भरी ट्रेन को भी बचाया*
स्व. पवन मल्होत्रा जी ने आजीवन गायों की सेवा की, इतना ही नहीं आप जी ने 200 गायों से भरी ट्रेन को भी बचाया। आप जी का कहना था कि गायों की सेवा करना हम सभी का फर्ज है, जो व्यक्ति गौ माता की सेवा पूजा करता है उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गौ माता हर लेती है।
*भारतीय संस्कृति एवं परंपराओं को रखा जीवित*
स्व. पवन मल्होत्रा जी भारतीय संस्कृति एवं परंपराओं को जीवित रखने हेतु सदा प्रयासरत रहे और राष्ट्रीय पर्व नव वर्ष हवन यज्ञ से स्नान शुरू करवाया। इसके अलावा 26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों व युवाओं में देशभक्ति की भावना उत्पन्न करना उनके जीवनशैली का हिस्सा बन गया।स्व. पवन मल्होत्रा जी पेश के कारोबारी थे लेकिन आप जी ने समाज की भलाई को हमेशा पहल दी और ईमानदारी के रास्ते पर चलते हुए दूसरों को भी जीवन भर प्रेरित किया। अत: पूरे जीवन संघर्ष की राह पर चलते हुए परमात्ना के चरणों में विलीन हो गए। शायद परमात्मा को भी ऐसे सदचरित्र पुरुष की आवश्यकता रही होगी।







