आलू की फसल के झुलस रोग के प्रति सचेत रहें किसान : डिप्टी डायरैक्टर बागबानी

by Sandeep Verma
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जालंधर : पंजाब राज्य आलू उत्पादन और उच्च गुणवत्ता वाले बीज आलू के उत्पादन में अग्रणी राज्य माना जाता है। विशेषकर अन्य जिलों की तुलना में जालंधर जिले में आलू की फसल का क्षेत्रफल सबसे अधिक है। इस फसल के अंतर्गत कुल क्षेत्रफल का बड़ा हिस्सा केवल आलू बीज उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि यह आलू बीज सर्वोत्तम गुणवत्ता वाला और रोग मुक्त पैदा किया जाए।इस संबंधी डिपटी डायरैक्टर बागबानी डा.लाल बहादुर दमाथिया ने बताया कि इस मौसम में आलू की फसल के झुलस रोग बढ़ने की संभावना होती है। यह रोग ज्यादातर कुफरी चन्द्रमुखी, कुफरी पुखराज किस्मों तथा कुछ निजी किस्मों जैसे के.वाई. एल.आर में देखा जाता है।उन्होंने किसानों को सलाह दी कि आलू की फसल पर 7 दिन के अंतराल पर इंडोफिल एम-45/एंट्राकोल/कवच दवा 500 से 700 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 250 से 300 लीटर पानी में स्प्रे किया जाए। यह ध्यान रखना चाहिए कि दवा का पहला छिड़काव सातवें दिन दोबारा नहीं करना चाहिए। दूसरा छिड़काव अन्य रासायनिक दवा का करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन खेतों में इस बीमारी के कोई लक्षण नहीं हैं या ‘प्रतिरोधी’ किस्में इस बीमारी से प्रभावित नहीं हुई हैं, वहां किसानों को रिडोमिल गोल्ड/सेक्टिन 60 डब्लूजी/कर्जेट एम-8 दवाईयां 700 ग्राम प्रति एकड़ या रीव्स 250 एस.सी.या इक्वेशन प्रो 200 मिली प्रति एकड़ 250 से 300 लीटर पानी में स्प्रे करना चाहिए।

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