लुधियाना : भारतीय जनता पार्टी पंजाब के महासचिव अनिल सरीन ने कांग्रेस पार्टी से एम.के. स्टालिन द्वारा जारी डीएमके पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र पर अपना स्टैंड जनता के सामने स्पष्ट करने को कहा। उन्होंने कहा कि डीएमके पार्टी का घोषणापत्र संविधान के विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि डीएमके ने राज्यपालों की शक्तियों में कटौती करने के अलावा जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को वापस लाने का वादा किया है, जो पूरी तरह से संविधान के खिलाफ है। राज्यपालों की शक्तियाँ पहले से ही संविधान में निहित हैं और संसद के दोनों सदनों की मंजूरी के बाद ही अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया है। यह निर्णय राष्ट्रहित में लिया गया है। उन्होंने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि भारत के एक उत्तरी राज्य में धारा 370 को निरस्त करने का तमिलनाडु से क्या संबंध है?
अनिल सरीन ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हाल ही में द्रमुक देश के खिलाफ असंतोष की आवाज उठा रही है। पहले तो द्रमुक नेता सनातन धर्म की तुलना मलेरिया और डेंगू से कर रहे थे। फिर उत्तर दक्षिण विभाजन बनाने की कोशिश और अब यह घोषणापत्र।अनिल सरीन ने घोषणापत्र पर इंडी गठबंधन के सहयोगियों की चुप्पी को उनकी सहमति करार देते हुए कहा कि विपक्ष ने मोदी और भाजपा को गाली देना, भारतीय लोकतंत्र के मूल तत्व, भारतीय संविधान के खिलाफ बोलने का अब एक अलग रिवाज बना लिया है। जबकि प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी तथा बीजेपी देशहित्त के लिए कार्य कर रहे हैं और करते रहेंगें। सरीन ने कहा कि विपक्ष के चेहरे पर निराशा और हार साफ दिख रही है। उन्होंने कहा कि दीवार पर लिखी इबारत की तरह बिल्कुल साफ है कि बीजेपी इस बार 400 से ज्यादा सीटों के साथ सत्ता में वापसी कर रही है।अनिल सरीन ने कहा कि घोषणापत्र को लेकर सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बल्कि एनसीपी, यूबीटी, शिवसेना, एसपी, आप, राजद, टीएमसी समेत सभी घटक दलों की चुप्पी का क्या मतलब है। कांग्रेस पार्टी को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए कि वह भारत के संविधान के पक्ष में है या संविधान के विरोध में?