जालंधर : देश की एकता और अखंडता के लिए आतंकवादियों और अपराधियों का सामना करते हुए अपनी जानें कुर्बान करने वाले बहादुर पुलिस कर्मचारियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के मद्देनजर सोमवार को पंजाब आर्म्ड पुलिस (पी.ए.पी.) हेडक्वार्टर में 65वां राज्य स्तरीय पुलिस यादगार दिवस मनाया गया।पुलिस के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए पंजाब पुलिस के डायरेक्टर जनरल (डी.जी.पी.) गौरव यादव ने कहा कि पंजाब पुलिस एक बेमिसाल फोर्स है, जिसने शांति और अस्थिरता के दौर में देश की सेवा की है। उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों ने देश की एकता और अखंडता को कायम रखने और लोगों को सुरक्षा देने के लिए अपनी जानें दी हैं। उन्होंने कहा कि सितंबर 1981 से अब तक पंजाब पुलिस के 1799 कर्मचारियों, जिनमें इस वर्ष के दो कर्मचारी भी शामिल हैं, ने अपनी जान देश के लिए दी।देश के लिए अपनी जानें निछावर करने वाले शूरवीरों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद जन समूह को संबोधित करते हुए पंजाब पुलिस मुखी ने कहा कि इन शहीदों की बदौलत ही हम सभी आज़ाद फिजा में सांस ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस अपनी बहादुरी, दलेरी और सफलतापूर्वक आतंकवाद को जड़ से मिटाने के लिए जानी जाती है। उन्होंने कहा कि मातृभूमि को दुश्मनों से बचाने के लिए पंजाब पुलिस हमेशा दृढ़ और अग्रणी रहती है। डीजीपी ने कहा कि पंजाब पुलिस सीमावर्ती राज्य में अमन-शांति और भाईचारे को बनाए रखने के लिए लगातार प्रयास करती रहेगी।इस मौके पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए डीजीपी गौरव यादव ने कहा कि स्ट्रीट क्राइम और नशे की बिक्री दो गंभीर चुनौतियाँ हैं, जो सीधे तौर पर आम नागरिकों को प्रभावित करती हैं। उन्होंने कहा कि स्ट्रीट क्राइम से निपटने के लिए, अपराध मैपिंग का उपयोग करते हुए अपराध के हॉटस्पॉट्स की पहचान करने और ऐसे क्षेत्रों में पुलिस गश्त और तैनाती को बढ़ाने के लिए रणनीति तैयार की गई है।उन्होंने कहा कि इसी तरह नशे के जाल को तोड़ने के लिए लोगों के सहयोग से नशे के हॉटस्पॉट्स की पहचान की जा रही है और नशा बेचने वाली जगहों के बारे में सटीक और पुख्ता जानकारी प्राप्त करने के लिए सी.पी./एस.एस.पीज द्वारा सार्वजनिक बैठकें की जा रही हैं।डीजीपी ने कहा, “हमारी सबसे प्राथमिकता आम नागरिक हैं। हम यह पहचान कर रहे हैं कि उन्हें सबसे अधिक क्या प्रभावित करता है और उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए हम नियमित रूप से काम कर रहे हैं।” उन्होंने जोर देकर कहा कि हम पंजाब के लोगों को लोकपक्षी और प्रभावी पुलिस सेवाएँ देना चाहते हैं।फिरौती कॉल के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में डीजीपी गौरव यादव ने कहा कि पंजाब पुलिस के विश्लेषण से पता चला है कि ऐसी कॉलों में से 80 प्रतिशत से अधिक कॉलें गैंगस्टर की आड़ में स्थानीय अपराधियों द्वारा की जाती हैं, जबकि 20 प्रतिशत से भी कम असली फिरौती कॉल होती हैं। उन्होंने लोगों से ऐसे अपराधों के बारे में तुरंत सूचित करने की अपील की और सीपीज/एसएसपीज को निर्देश दिया कि हर फिरौती कॉल या स्नैचिंग जैसे अन्य फुटकल अपराधों की तुरंत एफआईआर दर्ज की जाए ताकि उनकी गहराई से जांच की जा सके।उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस ने संगठित अपराध के खिलाफ सक्रिय पहुँच अपनाई है, जिसके तहत यदि कोई अपराधी पुलिस टीम पर गोली चलाता है तो अधिकारियों/कर्मचारियों को आत्म-रक्षा में जवाबी कार्रवाई करने की छूट है।उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस ने पुलिस कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना भी शुरू की है, जिसके तहत प्रदेश भर के 300 अस्पतालों को सूचीबद्ध किया गया है, जहाँ पुलिस कर्मचारियों के लिए रियायती दरों पर चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध हैं।समारोह के बाद, डीजीपी गौरव यादव ने शहीदों के परिवारों से भी मुलाकात की और उनकी बातें सहानुभूति से सुनते हुए उन्होंने शहीदों के परिवारों को पंजाब सरकार और पंजाब पुलिस की ओर से पूर्ण सहयोग और मदद का भरोसा दिया।उन्होंने कहा कि हम अपने बहादुर जवानों की कुर्बानियों को व्यर्थ नहीं जाने देंगे और मैं आपको भरोसा दिलाता हूँ कि पंजाब पुलिस सीमावर्ती राज्य में शांति और सद्भावना को सुनिश्चित करने के लिए पूरी लगन और तन्मयता से सेवा निभाती रहेगी।इस दौरान पी.ए.पी. कैंपस में बने पुलिस शहीदी स्मारक पर यादगार परेड भी की गई। इसके उपरांत 75वीं बटालियन पीएपी जालंधर पंजाब के कमांडेंट विवेक शील सोनी ने इस वर्ष अमन-कानून के लिए ड्यूटी करते समय शहीद होने वाले कांस्टेबल अमृतपाल सिंह और पी.एच.जी. जसपाल सिंह सहित इस वर्ष शहीदी प्राप्त करने वाले 213 बहादुर पुलिस कर्मचारियों के नाम भी पढ़े। इस मौके शहीदों की याद में दो मिनट का मौन भी रखा गया और सीनियर अधिकारियों ने शहीदी स्मारक पर फूलमालाएँ अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि भी दी।इस मौके पर उपस्थित प्रमुख शख्सियतों में स्पेशल डीजीपी, एडीजीपी, आईजीपी और अन्य सीनियर पुलिस अधिकारी/कर्मचारी शामिल थे।
पुलिस यादगारी दिवस का इतिहास
पुलिस यादगारी दिवस का संबंध 21 अक्टूबर, 1959 की घटना से है, जब लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स में एस.आई. कर्म सिंह की अगुवाई में सी.आर.पी.एफ. की गश्त पार्टी पर घात लगाकर बैठे चीनी बलों ने हमला कर दिया था, जिसमें हमारे 10 जवान मारे गए थे। हमारे बहादुर जवानों ने 16,000 फुट की ऊँचाई और कड़ाके की ठंड में औकड़ों का डटकर सामना करते हुए देश के लिए कुर्बानियाँ देकर अपने बुलंद हौसले और साहस का सबूत दिया।
21 अक्टूबर, 1959 को देश की सीमाओं की रक्षा के लिए अपनी जानें वारने वाले शूरवीर जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए इंडो-तिब्बतीयन बॉर्डर पुलिस द्वारा हर साल देश के सभी पुलिस बलों के एक प्रतिनिधि दल को हॉट स्प्रिंग्स लद्दाख भेजा जाता है।
तब से हर साल 21 अक्टूबर को सभी पुलिस यूनिटों में बहादुर पुलिस शहीदों, जिन्होंने तन्मयता से ड्यूटी निभाते हुए देश के लिए अपनी जानें कुर्बान कर दीं, के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए श्रद्धांजलि परेड करवाई जाती है। इस मौके पर विछड़ी आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है और उनकी याद में दो मिनट का मौन रखा जाता है। इसके साथ ही राज्यों, पुलिस और अर्धसैनिक बलों के शहीद हुए पुलिस कर्मचारियों के नाम पढ़कर उनकी महान कुर्बानियों को मान्यता दी जाती है।