पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी पंजाबियों के हितों के खिलाफ : विजय सांपला

by Sandeep Verma
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जालंधर : भारतीय जनता पार्टी जिला अध्यक्ष सुशील शर्मा की अध्यक्षता में पूर्व केंद्रीय मंत्री व पूर्व राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष  विजय सांपला ने पंजाब सरकार की लैंड पुलिंग नीति के खिलाफ भूमि अधिग्रहण के अहम मुद्दे को लेकर प्रेस वार्ता को संबोधित किया। उन्होंने इस मौके पर गंभीरता से पक्ष रखते हुए कहा कि यह नीति बड़े जमीन मालिकों और प्राइवेट डेवलपरों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाई गई है, जबकि छोटे किसानों की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने कहा कि इससे पंजाब का किसान भी बर्बाद हो जाएगा, जिसके पास कोई अन्य आय का साधन नहीं बचेगा। और जब किसी प्रदेश की कृषि नीचे गिरती है, तो इसका असर आवाजाही, व्यापार से लेकर समाज के हर क्षेत्र पर पड़ेगा, जो प्रदेश की अर्थव्यवस्था को खोखला कर देगा। उन्होंने कहा कि आज अपने खेतों का राजा पंजाब का किसान कल उसी के खेत में कटी कॉलोनी का गार्ड बनकर खड़ा होने के लिए मजबूर होगा।विजय सांपला ने कहा कि इस लैंड पूलिंग योजना से पंजाब सरकार प्लॉट दिए जाने तक 30,000 रुपये प्रति एकड़ सालाना देगी। इससे किसान का नुकसान पहले दिन से ही शुरू हो जाता है, क्योंकि इस समय ज़मीन का ठेका 80-85 हज़ार रुपये प्रति एकड़ सालाना चल रहा है, तो फिर पंजाब सरकार कम क्यों दे रही है? उन्होंने कहा कि सरकार प्लॉट देने में सफल हो या न हो, तीन साल बाद यह पैसा आना भी बंद हो जाएगा।नोटिफ़िकेशन के बाद ज़मीन पर हर तरह की रोक लग जाती है। सरकार द्वारा प्लॉट मिलने से पहले, अगर खेत मालिक किसान/ज़मीनदार को कोई ज़रूरत पड़ जाए, तो वह न तो अपनी ज़मीन बेच सकता है और न ही बैंक से इस पर ऋण ले सकता है।
उन्होंने कहा कि इस नीति में एक एकड़ से कम ज़मीन वाले किसान को न तो ठेका मिलेगा और न ही कमर्शियल प्लॉट मिलेगा जिससे किसान और उसका परिवार बेरोज़गार हो जाएगा।विजय सांपला ने कहा कि किसान एक साल में तीन फ़सलें लगाकर औसतन 2 लाख रुपये सालाना मुनाफ़ा कमाता है। फिर सरकार द्वारा दिए 30,000 रुपये प्रति एकड़/सालाना से उसका क्या बनेगा? उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार की दमनकारी नीति प्रदेश के 1,200 गांवों में से 158 गांवों की 40,000 एकड़ से अधिक जमीन को निशाना बना रही है जोकि बिल्कुल गलत है। उन्होंने कहा कि जालंधर की लगभग 1,000 एकड़ भूमि अधिग्रहण करके सरकार गरीब किसान के साथ अत्याचार कर रही है। उन्होंने कहा कि पंजाब में पहले ही 42% से अधिक शहरीकृत है और अब और शहरों के विस्तार की कोई आवश्यकता नहीं है।उन्होंने कहा कि पहले से कटी कई आवासीय योजनाएं आधी से अधिक खाली पड़ी हैं और अतिरिक्त जमीन खरीदने के बजाय, मौजूदा कॉलोनियों को बेहतर ढंग से बसाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आप सरकार ने LARR एक्ट-2013 के तहत किसानों की जमीन खरीदने के लिए बाजार दर के हिसाब से करोड़ों रुपये का भुगतान करने से बचने के लिए गलत रास्ते का इस्तेमाल किया है।इससे किसानों को उनकी जमीनों के उचित मूल्य से वंचित कर दिया गया और प्रभावित परिवारों को उनकी जमीनों का उचित मुआवजा, पारदर्शिता और उचित पुनर्वास जैसे महत्वपूर्ण अधिकारों से वंचित कर दिया गया।उन्होंने कहा कि इस नीति से पंजाबी विरासत का विनाश और पंजाब का असली और एकमात्र पूंजी, पंजाब की आत्मा, यहां के गांव, खेत, सथान, पशु धन ही तो हैं। अगर यहां की जमीनें ही नहीं रहेंगी और यहां कंक्रीट के जंगल ही बना दिए गए, तो हमारा समृद्ध पंजाबी विरासत कैसे जीवित रहेगा? उन्होंने कहा कि पंजाब को और शहरों की नहीं बल्कि ग्रामीण विरासत, संस्कृति को बिना नुकसान पहुंचाए, यहां शहरी स्तर की सुविधाएं योजनाबद्ध तरीके से मुहैया करवाकर विकास करने की आवश्यकता है।इस मौके पर भाजपा जिलाध्यक्ष सुशील शर्मा, प्रदेश महामंत्री राकेश राठौर, प्रदेश उपाध्यक्ष केडी भंडारी,पूर्व विधायक जगबीर बराड़,जिला महामंत्री अशोक सरीन हिक्की, राजेश कपूर, अमरजीत सिंह गोल्डी,पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष रमेश शर्मा,जिला प्रवक्ता सन्नी शर्मा, गौरव राय,दीवान अमित अरोड़ा आदि उपस्थित थे।

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