

जालंधर : धान की पराली को आग लगाने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा किए ठोस प्रयासों के सार्थक परिणाम आने शुरू हो गए है, जिसके चलते जालंधर जिले में इस साल फसलों के अवशेषों को आग लगाने की घटनाओं में भारी गिरावट आई है।इस साल 15 सितंबर से लेकर 26 अक्तूबर तक पराली जलाने के 13 मामले सामने आए है, जबकि साल 2021 में ऐसे 275 मामले सामने आए थे। मुख्यमंत्री पंजाब स. भगवंत सिंह मान की अगुवाई वाली राज्य सरकार के ठोस प्रयासों के चलते पिछले कुछ सालों में सकारात्मक परिणाम आए है और साल 2023 में केवल 77 मामले, साल 2024 में 22 तथा इस साल 15 सितंबर से 26 अक्तूबर 2025 के बीच 13 मामले दर्ज किए गए है।उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन द्वारा पराली जलाने की प्रवृत्ति को रोकने के लिए बहु-आयामी रणनीति अपनाई गई, जिसमें पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रखने के लिए क्लस्टर अधिकारियों की तैनाती, पर्यावरण मुआवजा लगाना, जागरूकता गतिविधियां करवाना तथा फसलों के अवशेषों की उचित देखभाल के लिए सहायता उपलब्ध करवाना आदि शामिल है।इसी तरह जिला प्रशासन द्वारा पराली जलाने की प्रवृत्ति को रोकने के लिए कई उपाय किए गए, जिसमें इस साल एक्स-सीटू मैनेजमेंट तकनीक का उपयोग करते हुए बॉयलरों में 1.60 लाख टन से अधिक पराली का प्रबंधन शामिल है।मुख्य कृषि अधिकारी डा. जसविंदर सिंह ने इस संबंधी जानकारी देते हुए बताया कि इस साल जिले में 1,171,500 हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती की गई। संबंधित अधिकारियों द्वारा अब तक करीब 8 चालान किए गए है, जिनके तहत उल्लंघन करने वालों पर 40,000 रुपये पर्यावरण मुआवजा लगाया गया है तथा राजस्व रिकॉर्ड में रेड एंट्री भी की गई है।किसानों को पराली के उचित प्रबंधन के लिए उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए जिला प्रशासन द्वारा जिले में 7000 ऐसे अति आधुनिक कृषि उपकरण सब्सिडी पर उपलब्ध करवाए गए है। इसके अलावा किसानों को पराली जलाने के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियानों की श्रृंखला चलाई गई। जिले में अब तक 113 जागरूकता कैंप लगाए गए है।जिले में पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए किसानों द्वारा दिए जा रहे योगदान की सराहना करते हुए डिप्टी कमिश्नर डा. हिमांशु अग्रवाल ने कहा कि ऐसी घटनाओं को और कम करने के लिए जिले भर में और अधिक प्रयास किए जाएंगे।इसके अलावा डा. अग्रवाल ने जिले के किसानों से अपील की कि पराली को आग लगाने से परहेज किया जाए क्योंकि इससे उठने वाला धुआं अस्थमा के मरीजों के लिए परेशानियां बढ़ा सकता है।
