आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्र प्रारम्भ हो जाता है। इस वर्ष यह पर्व 26 सितम्बर से शुरू हो रहा है। नवरात्र पर्व के तृतीया तिथि 28 सितंबर 2022 को देवी चंद्रघंटा की पूजा का विधान है। इस दिन माता चंद्रघंटा की पूजा करने से व्यक्ति का स्वाभाव सौम्य और विनम्र हो जाता है। साथ ही उनके जीवन में खुशियों का अम्बार लग जाता है।
शास्त्रों के अनुसार माता चंद्रघंटा का रंग सोने के समान तेजवान है। माता के तीन नेत्र और 10 भुजाएं हैं। इनके प्रत्येक हाथों में कमल का पुष्प, गदा, बाण, धनुष, त्रिशूल, खड्ग, चक्र, खप्पर, और अग्नि सुशोभित हैं। मां चंद्रघंटा शेर पर सवार होकर आती हैं और हर समय युद्ध के लिए तैयार रहती हैं।
देवी चंद्रघंटा पूजा विधी:
नवरात्र के तीसरे दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके पूजा स्थल कि सफाई करें। फिर नित्यपूजा के साथ ‘ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः’ मंत्र का जाप करें। इसके बाद माता को गंध, पुष्प, धूप, अक्षत, सिंदूर अर्पित करें और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा और आरती करें।