चंडीगढ़: गायक सिद्धू मूसेवाला मर्डर केस में दिल्ली के तिहाड़ जेल से पंजाब पुलिस द्वारा ट्रांजिट रिमांड पर लाए गए गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई को आज सुबह अमृतसर अदालत में पेश किया गया. कोर्ट ने एक शराब कारोबारी पर फायरिंग के मामले में उसे होशियारपुर पुलिस को ट्रांजिट रिमांड पर सौंपने के आदेश दिए गए हैं. बिश्नोई को कंधोवालिया मर्डर केस में रिमांड खत्म होने के बाद अमृतसर अदालत में पेश किया गया था. लॉरेंस को रिमांड पर लेने के लिए होशियारपुर पुलिस के अलावा मुक्तसर पुलिस भी अमृतसर अदालत पहुंची थी.
एक रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में लॉरेंस बिश्नोई के खिलाफ 17 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें उसके गृह जिले फाजिल्का में 6, मोहाली में 7, फरीदकोट में 2, अमृतसर और मुक्तसर में 1-1 मामला शामिल है. इसलिए आने वाले दिनों में उसे कई बार ट्रांजिट रिमांड का सामना करना पड़ सकता है. पुलिस बिश्नोई को अब अदालती कार्रवाई पूरी करने के बाद कड़ी सुरक्षा में होशियारपुर ले जाएगी, जहां उसका मेडिकल करवाने के बाद दोबारा अदालत में पेश किया जाएगा.
लॉरेंस होशियारपुर में 2019 में एक शराब कारोबारी पर हुई फायरिंग के मामले में भी नामजद है. अमृतसर में हुए राणा कंधोवालिया हत्या मामले में लॉरेंस से पूछताछ की जा रही थी. इसके लिए बीते 28 जून को अमृतसर पुलिस ने उसको 8 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया था. 6 जुलाई को लॉरेंस का रिमांड खत्म होने पर पर उसे दोबारा अदालत में पेश किया गया था. कोर्ट ने रिमांड 5 दिन के लिए बढ़ा दी थी.
बिश्नोई और गोल्डी बरार का पुलिस ने तैयार किया है डेटाबेस
सिद्धू मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी लेने के बाद पुलिस ने जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और उसके कनाडा स्थित सहयोगी सतिंदरजीत सिंह उर्फ गोल्डी बरार का एक डेटाबेस तैयार किया है. पुलिस द्वारा तैयार किए गए आपराधिक मामलों के डोजियर के अनुसार, जहां बिश्नोई पिछले 12 वर्षों में 36 आपराधिक वारदातों में शामिल रहा है, वहीं पिछले 18 महीनों में बरार को 8 मामलों में आरोपी बनाया गया है.
क्राइम डेटाबेस के अनुसार बिश्नोई ने अप्रैल 2010 में अपराध की दुनिया में प्रवेश किया था. चंडीगढ़ और मोहाली पुलिस ने उस पर हत्या के प्रयास, हथियार रखने और चोट पहुंचाने के लिए तीन आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे. जबकि चंडीगढ़ पुलिस द्वारा अप्रैल 2010 में दर्ज 2 मामलों में उसे अदालत ने बरी कर दिया था. लॉरेंस बिश्नोई को अक्टूबर 2010 में मोहाली पुलिस द्वारा दर्ज तीसरे मामले में कोर्ट ने दोषी ठहराया था.