श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन बताओ कहा मिलेंगे राम, बोलो कहा मिलेगें राम के भजन पर झूमते हुए दिखे श्रद्धालु

by Sandeep Verma
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जालंधर ( एस के वर्मा ): श्री कष्ट निवारण बालाजी सेवा परिवार की ओर से पटेल चौंक स्थित साई दास स्कूल की ग्राउंड में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन की शुरूआत श्री राधे राधे गोविंद की मधुर वाणी का नाम जपते हुए विधायक रमन अरोड़ा की अध्यक्षता में की गई। इस दौरान राजन अरोड़ा, साक्षी अरोड़ा, गौरव मदान, ऊर्जा मदान, राजू मदान, राधा मदान, राहुल बाहरी, महेश मखीजा ने परिवार सहित आरती करते हुए कथा के दूसरे दिन की शुरूआत की। कथा में लवली स्वीट के मालिक अशोक मित्तल ने विशेष तौर पर शिरकत कर अपनी हाज़री लगाई।IMG 20230221 WA0903      इस दौरान प्रसिद्ध कथा वाचक जया किशोरी जी ने श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन भक्ति पर प्रसंग और राजा परीक्षित श्राप की कथा सुनाई। कहा कि सत्य है भगवान का चरित्र भक्तिपूर्वक सुनने से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारो पदार्थ अनायास ही मिल जाते है। मानव को कोई भी काम करने से पहलेे अपने आपको मानसिक तौर पर मजबूर करना चाहिए, और ये अच्छी सोच के साथ ही हो सकता है।IMG 20230221 WA0943      साथ ही प्रसिद्ध कथा वाचक जया किशोरी जी ने कथा के बीच में बताओ कहा मिलेंगे राम, बोलो कहा मिलेगें राम, गुरु मेरी पूजा गुरु मेरो भवंत, श्री कृष्ण गोविंद हरे मुराली हे नाथ नारा यण वासुदेवा इत्यादि भजनों से श्रद्धालुओं को झूमने पर विवश कर दिया।एवं कथा में कहा मानव के जीवन में विज्ञान के ज्ञान का बहुत बड़ा महत्व है। कलयुग में दो ही ऐसे भगवान थे, एक श्रीराम, दूसरे श्री कृष्ण। कथा में श्रीराम के अवतार के बारे में बताते हुए कहा कि श्रीराम हमेशा मर्यादा में रहते थे और हमेशा अपनी मर्यादा का महत्व रखते थे, और श्री कृष्ण मर्यादा को सिखाते थे। भगवान ने भी महाभारत में राजनीति बहुत अच्छी तरह खेली। एवँ कहा कि मानव को अपने दैनिक जीवन में छोटी-छोटी बातों में ख़ुशी ढूंढनी चाहिए। क्यूंकि किसी बड़ी खुशियों को पाने की चाह में हम अपने छोटे-छोटे लम्हों को अच्छी तरह से जी नहीं पाते है। और ये ही कारण है की मनुष्य हर समय चिंताओं के घेरे में बधा रहता है। क्रोध मनुष्य को अंधा कर देता है। मनुष्य के असफल होने का सबसे बड़ा कारण क्रोध है। क्योंकि क्रोध मनुष्य के सोचने समझने की समर्था को खत्म कर देता है। जिससे तैश में आकर मानव अपनों को और दूसरों को नुकसान पहुंचाता है। और कहा कि हमेशा श्रवण (सुनना) और चिंतन (विचार) को ध्यान में रखते हुए सभी कार्य करने चाहिए। आज के समय में कोई भी सुनना नहीं चाहता सभी कहना चाहते है। सभी को अपने विचारों को बताने की ही होड़ मची हुई है। मानव को हमेशा पहले सुनना चाहिए, और उसके बाद विचार करना चाहिए। तभी ही वो पूर्ण तौर पर समर्थ होगा। दूसरे दिन की कथा के अंत में भगवान भोलेनाथ की शादी धूम धाम से सम्पन्न हुई।

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