तीन दिवसीय शिक्षा महाकुंभ में 18 राज्यों के 2689 विद्वानों ने की सहभागिता और 31 रिसर्च प्रस्तुत किए गए

by Sandeep Verma
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जालंधर : देश की सरकार द्वारा लाई गई ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 बहु प्रतीक्षित व सुविचारित शिक्षा नीति है जिसमें प्राइमरी और उच्च शिक्षा का समग्रता से विचार किया गया है। अभी तक देश में लागू शिक्षा व्यवस्थाओं में स्कूली व उच्च शिक्षा का अलग अलग विचार किया जा रहा था। हम देख रहे हैं कि इस शिक्षा नीति पर ऊपर ऊपर ही काम हो रहा है। स्कूल स्तर पर टीचर को भी इस शिक्षा नीति के अनुसार प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है। स्कूली स्तर पर प्रशिक्षण नहीं दिया गया तो बहुत अच्छी और उज्ज्वल भारत के निर्माण में सक्षम होने बाद भी इस शिक्षा नीति का अभीष्ट परिणाम नहीं प्राप्त हो सकेगा । बिना चरित्र के ज्ञान खतरनाक होता है। इसी बिंदु को ध्यान में रखते हुए इसमें बालक के चरित्र निर्माण पर विशेष बल दिया गया है। जैसे अपनी प्राचीन गुरुकुल परंपरा में सभी छात्रों को समान शिक्षा दी जाती थी, इस शिक्षा नीति में भी इस ओर विशेष ध्यान दिया गया है। “शिक्षा महाकुंभ’ के आयोजकों को बहुत बहुत साधुवाद। IMG 20230611 WA0434    इस ‘शिक्षा महाकुंभ RASE- 23′ से देश के शिक्षा जगत में एक बहुत सकारात्मक संदेश जाएगा ।’ ये प्रेरणात्मक शब्द पंजाब के महामहिम राज्यपाल माननीय बनवारी लाल पुरोहित जी ने शिक्षा महाकुंभ के समापन समारोह में उपस्थित विद्वानों के समक्ष मार्गदर्शन के रूप में कहे। समापन समारोह के मुख्य वक्ता आई.आई.टी. रोपड़ के डायरेक्टर राजीव आहूजा ने अपनी बात सबके सामने रखते हुए कहा कि हमें ‘बेसिक बातें’ बालकों को स्पष्ट हों, इस ओर योजनाबद्ध रूप से कार्य करने की जरूरत है। यदि छात्रों को बेसिक्स स्पष्ट न हो सके तो वह परीक्षाएं तो पास कर लेगा लेकिन ‘इन्नोवेशन नहीं कर सकेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि बेसिक साइंस इज मदर आफ इन्नोवेशन | विद्वतजनों का मार्गदर्शन करते हुए राजीव आहूजा ने कहा कि पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद रिसर्च करने की सोच को छोड़कर हमें स्कूल से ‘रिसर्च’ शुरू कर देना चाहिए । इससे पूर्व विद्या भारती के अध्यक्ष टी. राम कृष्ण राव ने कहा कि अपने देश की प्राचीन गुरुकुल पद्धति को समयाकूल बनाकर लागू करना है। IMG 20230611 WA0422    आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस युग में भी हम मानवीय फीचर को अनदेखा नहींकर सकते हैं। इनका अपना महत्व है ।इस पूरे शिक्षा महाकुंभ की रिपोर्ट ‘शिक्षा महाकुंभ’ के सूत्रधार और इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक ठाकुर सुदेश रौनीजा ने प्रस्तुत की । उन्होंने बताया कि पिछले 7 महीनों से विद्या भारती उत्तर क्षेत्र के संगठन मंत्री विजय नड्डा के मार्गदर्शन में अथक प्रयास किया गया। जिसमें विद्या भारती, एन.आई. टी. जलंधर के अतिरिक्त भी सैकड़ों विद्वानों ने सेवा भाव से काम किया | इसके परिणाम स्वरूप 9 राज्यों व 4 यू.टी. में संपर्क किया गया | विद्वानों और शिक्षण संस्थानों को पांच हजार पत्र और दस हजार ई मेल प्रेषित किए गए | विभिन्न स्थानों पर 31 पत्रकार वार्ताएं की गई । महाकुंभ में 18 राज्यों से 2689 प्रतिभागी शामिल हुए। कुल 1187 शिक्षण संस्थानों व विश्वविद्यालयों की सहभागिता रही। 81 रिसर्च पेपर पढ़े गए। उन्होंने बताया कि एन. आई. टी. जलंधर और विद्या भारती पंजाब ने मिलकर एक प्रोजेक्ट तैयार किया है जिसका नाम है ‘सेंटर फार स्कूल एजुकेशन’ | उन्होंने महामहिम राज्यपाल जी से इस प्रोजेक्ट को स्वीकार करने का निवेदन किया जिसे महामहिम ने सहर्ष स्वीकार भी किया।इसी समापन समारोह में अगले वर्ष शिक्षा महाकुंभ आई.आई.टी. रोपड़ में करने की घोषणा की गई। शिक्षा महाकुंभ का बैटल आई. आई. टी. रोपड़ के डायरेक्टर राजीव आहूजा जी को सौंप दी गई। शिक्षा कुंभ का बैल पंजाब टेक्नीकल यूनिवर्सिटी के मनजीत बंसल ने प्राप्त की ।अंत में एन.आई.टी. के प्रोफेसर डा. अनीश सचदेवा ने शिक्षा महाकुंभ की शानदार सफलता के सभी कार्यकर्ताओं, वालंटियर्स, शिक्षाविदों, स्कूलों, कालेजों, अन्य सभी संस्थानों और आए हुए महान व्यक्तित्वों का हार्दिक धन्यवाद दिया । इस अवसर पर उपरोक्त महानुभावों के अतिरिक्त ठाकुर विजय, सुभाष महाजन, नीलम शर्मा, डा. रेखा कालिया, मनदीप तिवारी, अमित कांसल, शीतल विज, चंद्रहास गुप्ता, सुरेंद्र अत्री, जयदेव बालिश आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे।

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