









जालंधर : महाकुंभ के आखिरी स्नान पर्व महाशिवरात्रि पर भाजपा मीडिया प्रभारी तरुण शर्मा ने कहा कि संगम की महिमा रामचरित मानस की इन चौपाइयों में संत तुलसीदास ने इसी तरह गाई है। इसका आशय है, संगम तीर्थ भक्ति-ज्ञान के मजबूत और सुंदर गढ़ यानी ऐसे किले के समान है, जिसे स्वप्न में भी पाप रूपी शत्रु नहीं पा सके हैं। संगम रूपी सिंहासन पर विराजमान भगवान के आसपास गंगा-यमुना श्याम और श्वेत चंवर की तरह डोलती रहती हैं, जिन्हें देखकर संतों भक्तों के दुख और दरिद्रता नष्ट हो जाती है। इन्हीं भावों को लेकर महाकुंभ के आखिरी स्नान पर्व महाशिवरात्रि पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की अविरल धारा में संगम पर भक्ति के कलकल निनाद की दुनिया साक्षी बनी।