









जालंधर: संसार में मनुष्य को सुख देने के लिए भगवान ने अनेकों भोग पदार्थ एवं सुख सुविधाएं दी हैं और वह जन्मों से उन भोगों का उपभोग करता आ रहा है, फिर भी वह जीवन में संतुष्ट नहीं है। उसके नेत्रों को अच्छा दर्शन चाहिए, कानों को मधुर संगीत चाहिए, त्वचा को अच्छा स्पर्श चाहिए, फिर भी मन में तृप्ति नहीं है’ यह शब्द आज साई दास स्कूल, पटेल चौक के मैदान में श्री कष्ट निवारण बाला जी सेवा परिवार की ओर से करवाई जा रही श्रीमदभागवत कथा के चौथे दिन की कथा सुनाते हुए कथा वाचक जया किशोरी ने कहा कि विवाह का अर्थ है बंधन, जिसके लिए जीवन में त्याग भी करना पड़ता है, परंतु मनुष्य त्याग करना नहीं चाहता, जब हम अपने मन को समझा लेते हैं तो सकारात्मक कठिनाईयां आने पर हम उन्हें छोड़ भी देते हैं। जीवन में कुछ भी त्याग करना कठिन है