

जालंधर : आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन हमारी दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।जानकारी देते हुए रूद्र सेना संगठन चेयरमैन, शिवयोगी दयाल वर्मा भाई ने बताया कि कामकाज से लेकर मनोरंजन तक, हर चीज इसी स्क्रीन के जरिए सिमट गई है इसी बीच इंसान अपने सबसे कीमती रिश्तों, परिवार सदस्यों और अपने दोस्तों से धीरे-धीरे दूर होता जा रहा है। परिवार सदस्यों के भीतर आपसी बातचीत कम हो गई है, बच्चों के साथ खेलने बैठने के अवसर घट गए हैं और दोस्ती अब इमोजी और चैट तक सीमित रह गई है।वर्मा ने कहा कि एक दौर था जब परिवार के लोग शाम को एक साथ बैठकर बातें किया करते थे। घरों में हंसी की गूंज सुनाई देती थी, माता-पिता अपने बच्चों से उनके दिनभर के अनुभव पूछते थे, दोस्त गली-मोहल्लों में मिलते जुलते थे। आज वह दौर बीते वक्त की कहानी बन चुका है।आप बात दे कि अब हर कोई अपने मोबाइल में खोया है, कोई रील देख रहा है, कोई गेम खेल रहा है, तो कोई सोशल मीडिया पर अपनी “डजिटल पहचान” बनाए रखने में व्यस्त है।उन्होंने कहा कि मोबाइल ने निश्चित रूप से हमारे जीवन को आसान बनाया है लेकिन जब यही सुविधा हमारी सामाजिकता को निगलने लगे, तो सोचने की जरूरत है। यह समय है कि हम रुकें, सोचें और अपने जीवन की प्राथमिकताएँ तय करें। मोबाइल से कुछ देर की दूरी बनाकर परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना न सिर्फ. आपको मानसिक सुकून देगा बल्कि रिश्तों को भी गहराई प्रदान करेगा। एक छोटी-सी कोशिश जैसे शाम को परिवार के साथ बिना मोबाइल के भोजन करना, या वीकेंड पर दोस्तों संग बाहर घूमना, हमारे जीवन में फिर से “मानवीय जुड़ाव” की रोशनी भर सकता है। जब आप स्क्रीन से नजरें हटाएँगे, तभी आपको एहसास होगा कि असली जिंदगी तो आपके आसपास ही है।
