नवग्रह शनि मन्दिर त्रिवेणी उज्जैन

by Sandeep Verma
0 comment
Trident AD

उज्जैन ( व्यूरो ):  शनिवार शनिदेव महाराज के विशेष श्रृंगार दर्शन भक्तों इस पृथ्वी पर जिस प्रकार बाबा महाकाल के 12 ज्योतिर्लिंग हैं उसी प्रकार माता जी के 51 शक्ति पीठ है वैसे ही शनि देव के भी इस पृथ्वी साड़े 3 शक्तिपीठ है साडे तीन शक्तिपीठ में से मुख्य शक्तिपीठ पूरी पृथ्वी पर उज्जैन अवंतिका में विराजमान है इस स्वरूप में 3:30 शनि के शक्तिपीठ के साथ में शनिदेव के उज्जैन में डेढ़ शक्तिपीठ विराजमान है 2 शक्तिपीठ महाराष्ट्र में नस्तनपुर राक्षस भवन और भीड़ में स्थापित है दो जगह आधा-आधा और एक जगह पूर्ण 2 शक्तिपीठ महाराष्ट्र में है एक उज्जैन अवंतिका में उज्जैन में शनि देव के 3 स्वरूप है जिसमें से मुख्य स्वरूप शनिदेव शिवलिंग के स्वरुप में है उनके सामने दो दशा स्वरूप है बीच में साढ़ेसाती और पास वाले ढैय्या शनि शनि देव के पास गणेश जी विराजमान है क्योंकि पूरी पृथ्वी पर शनिदेव की एकमात्र जगह दशाएं विराजमान हैं शनिदेव के साथ भगवान नवग्रह शांति मंडल के स्वरुप में विराजमान है सभी ग्रहों की दशाएं विराजमान हैं अपनी कुंडली के अनुसार अपने जीवन पर चलने वाली ग्रहों की अनिष्ट दशाओं का विशेष शांति पूजन यही होता है शास्त्रों के अनुसार क्योंकि भगवान नवग्रह के दशा स्वरूप पूरी पृथ्वी पर एकमात्र यही विराजमान है राजा विक्रमादित्य अपनी दशा का कष्ट भोगने के बाद लास्ट दिन स्वप्न में शनि महाराज के दर्शन प्राप्त करते हैं शनि देव की आज्ञा के अनुसार उज्जैन से दक्षिण दिशा में त्रिवेणी संगम शिप्रा श्वेता और गंडकी नदी के किनारे विराजमान होकर भगवान नखरे का आह्वान करते हैं नवग्रह साक्षात विराजमान रूद्र रूप में होकर शनिदेव राजा से बोलते हैं राजा हमने हमारी दशा का जितना कष्ट तुम्हें दिया इतना कष्ट ना ही किसी देव पुरुष या किसी मानव को दिया दुनिया में सबसे ज्यादा कष्ट हमने आपको दिया हम आपके परीक्षा से प्रसन्न हुए आप वरदान मांगे राजा दोनों हाथ जोड़कर शनिदेव को दंडवत कर शनिदेव से बोलते हैं प्रभु जितना कष्ट आपने हमारी दशा में हमें दिया इतना अन्य किसी मानव को ना दें जनकल्याण के लिए आपका कुछ ऐसा स्वरूप विराजमान हो जिसके दर्शन मात्र से अपनी दशा का आधा कष्ट समाप्त कर सके शनिदेव हनुमान जी के स्वरुप में नवग्रह के साथ विराजमान हुए इस मंदिर की विशेष क्रिया है भगवान को श्रृंगार कर नवग्रह को निखारने से जिस भी ग्रहण के अनिष्ट दशा होती है पीड़ा होती है वह आधी यहीं पर समाप्त होती है आदि फिर भगवान आगे अपने कर्मों के अनुसार फल देते हैं सभी भक्तों से निवेदन है अपने जीवन को मंगलमय बनाने के लिए कृपया इस मंदिर में पधारें जिस मंदिर के बारे में आप लोग शायद ही जानते हो आकर अपने जीवन को मंगलमय बनाएं

Trident AD
Trident AD

You may also like

Leave a Comment

2022 The Trident News, A Media Company – All Right Reserved. Designed and Developed by iTree Network Solutions +91 94652 44786