जालंधर : मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नजदीक लम्मां पिंड चौक में श्री शनिदेव महाराज के निमित्त श्रृंखलाबद्ध हवन यज्ञ का आयोजन मंदिर परिसर में किया गया। मां बगलामुखी धाम के मुख्य सेवादार नवजीत भारद्वाज ने बताया कि पिछले लगभग अढ़ाई साल से मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी में आयोजित किया जा रहा है। सर्व प्रथम मुख्य यजमान से वैदिक रीति अनुसार गौरी गणेश, नवग्रह, पंचोपचार, षोडशोपचार, कलश, पूजन उपरांत ब्राह्मणों ने आए हुए सभी भक्तों से हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई । इस सप्ताह श्री शनिदेव महाराज के जाप उपरांत मां बगलामुखी जी के निमित्त भी माला मंत्र जाप एवं हवन यज्ञ में विशेष रूप आहुतियां डाली गई। हवन-यज्ञ की पूर्णाहुति के उपरांत नवजीत भारद्वाज ने आए हुए भक्तों से कहा कि *सच्चा संत वही है, जो सहज भाव से विचार करे और आचरण करे।* जब उसका मान हो, तब उसे अभिमान न हो और कभी उसका अपमान हो जाए, तो उसे अहंकार नहीं करना चाहिए। हर हाल में उसकी वाणी मधुर, व्यवहार संयमशील और चरित्र प्रभावशाली होना चाहिए। संत शब्द का अर्थ ही है, सज्जन और धार्मिक व्यक्ति।सच्चा संत सभी के प्रति निरपेक्ष और समान भाव रखता है, क्योंकि सच्चा संत हर इंसान में भगवान को ही देखता है, उसकी नजर में हर व्यक्ति में भगवान वास करते हैं, इसलिए उस पर किसी भी तरह के व्यवहार का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। सच्चा संत वही है, जिसने अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया हो और वह हर तरह की कामना से मुक्त हो।नवजीत भारद्वाज जी ने बताया कि कबीर दास जी कहते हैं कि साधु प्रेम-भाव का भूखा होता है, वह धन का भूखा नहीं होता। जो धन का भूखा होकर लालच में फिरता रहता है, वह सच्चा साधु नहीं होता। ईश्वर के उद्देश्यों और भावनाओं से जुड़ा हुआ संत ही सच्चा संत है। कहा गया है कि साधु ऐसा चाहिए, जो हरि की तरह ही हो। नवजीत भारद्वाज जी ने एक अध्यात्म से परिपूर्ण कथा बताते हुए कहा कि एक बार भगवान एक जंगल से गुजर रहे थे, तो वहां उन्हें एक संत मिले। भगवान ने उनसे कहा कि जाओ, तुम दूसरों की भलाई करो। संत ने कहा, महाराज यह मेरे लिए बहुत कठिन कार्य है, क्योंकि मैंने आज तक किसी को दूसरा समझा ही नहीं है, फिर मैं दूसरों का कल्याण कैसे करूंगा? भगवान संत से प्रभावित हुए और बोले अब आपकी छाया जिस पर भी पड़ेगी, उसका कल्याण होगा। संत ने कहा-हे देव मुझ पर एक और कृपा करें। मेरी वजह से किस-किस की भलाई हो रही है, इसका पता मुझे न चले, नहीं तो इससे उत्पन्न अहंकार मुझे पतन के मार्ग पर ले जाएगा। संत के इस वचन को सुनकर भगवान अभिभूत हो गए। परोपकार करने वाले सच्चे संत के ऐसे ही विचार होते हैं।इस अवसर पर राकेश प्रभाकर,गौरी केतन,बलजिंदर सिंह, समीर कपूर, किंवीन शर्मा,अमरजीत सिंह,वावा जोशी, नवदीप, उदय,अजीत कुमार,गुलशन शर्मा, अश्विनी शर्मा धूप वाले, मुनीश शर्मा, दिशांत शर्मा,अमरेंद्र शर्मा, मानव शर्मा, बावा खन्ना, विवेक शर्मा, शाम लाल, एडवोकेट राज कुमार, अभिलक्षय चुघ,सुनील,राजीव, राजन शर्मा, प्रिंस, ठाकुर बलदेव सिंह,रिंकू सैनी, दिनेश शर्मा, अजय मल्होत्रा, अजीत साहू,प्रवीण, दीपक ,अनीश शर्मा, प्रिंस,साहिल,सुनील जग्गी सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।आरती उपरांत प्रसाद रूपी लंगर का भी आयोजन किया गया







