माँ राजराजेश्वरी यज्ञ व भंडारा ढीनू बाबा गांव सियूंड नजदीक टंग निर्वाना कांगड़ा ( माँ चामुण्डा जी के क्षेत्र में ) श्री विद्या ललिता त्रिपुर सुन्दरी धन धन्य, वैभव एवम मोक्ष की आदिष्ठा देवी है अन्य विद्यायों की उपासना में या तो भोग मिलता है या मोक्ष, श्री विद्या का उपासक जीवन पर्यन्त सारे ऐश्वरय भोगते हुए अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है। इनकी उपासना तंत्र शास्त्रों मे अति रहस्यमय ऐवम गुप्त रूप से प्रकट की गई है। पूर्व जन्म के विशेष संस्कारों के बलवान होने पर ही इस विद्या की दीक्षा का योग बनता है। ऐसे बहुत ही कम लोग होते है जिन्हे इस जीवन मे यह उपासना करने का सोभाग्य प्राप्त होता है। मुख्य रूप से इनके तीन स्वरूपो की पूजा होती है। प्रथम आठ वर्षीया स्वरुप बाला, त्रिपुरसुन्दरी, द्वितीय सोलह वर्षीय स्वरुप षoडशी , तृतीय युवा अवस्था स्वरुप ललिता त्रिपुरसुन्दरी।
इनकी उपासना भगवान दत्तात्रय, दूर्वासा ऋषि, महर्षि परशुराम जी, मत्स्य इंदर नाथ जी, गोरक्ष नाथ जी द्वारा जीवन काल में सम्पन की और देवताओं के राजा इंदर आदि संतों ने की श्री विद्या साधना मे क्रम दीक्षा का विधान है ऐबं सर्व प्रथम बाला सुंदरी के मन्त्र की दीक्षा साधको को दी जाती है। स्वर्गीय पंडित बाल मुक़न्द कोरला जी के प्रेरणा मनाया गया |
यज्ञ पंडित संजीव जी द्वारा सम्पन किया गया सेंकड़ो भक्तजन यज्ञ में भाग ले पुण्य के भागी बने शिवयोगी दयाल चेयरमैन रूद्र सेना संगठन, उप चेयरमैन मोहित शर्मा, दिनेश करतारपुरिया , ठेकेदार पलव मेहरा,आदित्य कोरला, अदिति कोरला , रुशू संधीर,कैलास कोरला, गोबिंद कोरला, प्रवेश कोरला , सुशील कोरला ,पंडित सुभाष शर्मा , प्रधान तिलक राज , पंडित बॉबी गोस्वामी,मीणा कोरला,परवीन लता, किरण कोरला, रीना कोरला , रीता देवी, नैंसी चोधरी, हर्ष लता, सरू शर्मा, ऋचा, गौरव खन्ना , संदीप वर्मा, अजय सहगल , शेखर आनंद, सोनू शेफ, आदि भक्त आशीर्वाद और सेवा के लिए मंदिर में मौजूद रहे.







