ऊना : गोबिंद सागर झील के बीच मंदिर बाबा गरीब नाथ की तपोस्थली

by Sandeep Verma
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ऊना : चारों तरफ पानी ही पानी और बीच में बना सुंदर मंदिर। इन दिनों ऐसी खूबसूरत तस्वीर आपको कुटलहैड़ विधानसभा क्षेत्र के अंदरौली (रायपुर मैदान) पहुंचते ही दिखाई देती है। ऊना, हमीरपुर के अलावा पड़ोसी राज्य पंजाब से सैंकड़ों लोग गोबिंद सागर झील के बीच में बने बाबा गरीब नाथ मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं। बरसात के दिनों में गोबिंद सागर झील का स्तर ऊपर आ जाता है। जिसकी वजह से यह मंदिर जुलाई से नवंबर माह तक चारों तरफ से पानी से घिरा रहता है।
मंदिर को देखने के लिए बाहरी पर्यटक भी अंदरौली पहुंच रहे हैं। जिन्हें गोबिंद सागर झील के चारों तरफ छाई हरियाली खूब लुभा रही है। जिससे अंदरौली पर्यटकों के लिए पसंदीदा स्थल बनता जा रहा है। छुट्टी वाले दिन अंदरौली में खासी भीड़ रहती है। यहां आने वाले पर्यटक पहले सभी झील में बने बाबा गरीब नाथ मंदिर के दर्शन करते हैं। इसके बाद गोबिंद सागर झील में मोटर बोट का लुत्फ उठाते हैं। मंदिर परिसर में भगवान शिव की विशालकाय प्रतिमा आकर्षण का केंद्र है। इसके अलावा माता वैष्णो देवी की गुफा बनाई गई है। इस मंदिर में हिमाचल, पंजाब और हरियाणा काफी संख्या में श्रद्धालु मन्नत मांगने आते हैं।
                                       ऐसे पहुंचे गरीबनाथ मंदिर…
अंदरौली स्थित बाबा गरीबनाथ का प्राचीन मंदिर थानाकलां-भाखड़ा सड़क पर पड़ता है। इसकी हाईवे से अच्छी कनेक्टीविटी है। मंदिर को देखने के लिए रोजाना सैंकड़ों लोग आ रहे हैं। क्योंकि इन दिनों मंदिर चारों तरफ झील के पानी से घिरा हुआ है। मंदिर आने-जाने के लिए मोटर बोट की व्यवस्था की गई है। इस मंदिर के लिए ऊना से बीहडू नेशनल हाईवे-503ए के रास्ते पहुंचा जा सकता है। वहीं नंगल पंजाब की तरफ से आने वाले लोग भाखड़ा के रास्ते अंदरौली पहुंच सकते हैं। जबकि हमीरपुर की तरफ से आने वाले लोग थानाकलां-मंदली के रास्ते इस जगह पहुंच सकते हैं। इस जगह के लिए बस सुविधा भी उपलब्ध है।
बाबा गरीबनाथ की तपोस्थली…
गोबिंद सागर झील के बीच मंदिर बाबा गरीब नाथ की तपोस्थली है। कहा जाता है कि इस स्थान पर बाबा गरीब नाथ ने लगभग 40 साल तक घोर तपस्या की थी। मंदिर परिसर में अमलताश का लगभग 500 वर्ष पुराना पेड़ भी है, जिस जगह बाबा गरीब नाथ की प्रतिमा स्थापित की गई है।
स्थानीय लोगों के मुताबिक गोबिंद सागर झील से पहले इस स्थान पर बहुत घना जंगल होता था। लेकिन 60 के दशक में गोबिंद सागर झील बनने से अब मंदिर का हिस्सा ही शेष रह गया है। इस एरिया में प्रदेश सरकार की वाटर स्पोर्ट्स गतिविधियां शुरू करने की योजना है। इसके लिए कुटलैहड़ पर्यटन विकास समिति गठित की गई है। जिससे अंदरौली, रायपुर मैदान, दोबड़ और बडौर में पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद बंध गई है।
    क्या कहते हैं श्रद्धालु…
जालंधर से पहुँचे रूद्र सेना सगठन के चेयरमेन दयाल वर्मा ने कहा कि वह गोबिंद सागर झील के बीच बने बाबा गरीब नाथ मंदिर में दर्शनों के लिए आए हैं। यहां आकर उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है। वहीं जालंधर से पहली बार दयाल वर्मा ने कहा कि दोस्तों को साथ लेकर इन मंदिर के बारे में पता चला और यहां आकर उन्हें शांति की अनुभूति हो रही है।

 

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