साल्वे,जो भगवान जगन्नाथ के एक मुस्लिम भक्त थे, उनकी मजार के सामने भगवान जगन्नाथ का रथ रुक जाता है, यह एक प्रसिद्ध कथा है जो जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी है। यह घटना भगवान जगन्नाथ की अपने भक्तों के प्रति बिना किसी भेदभाव के प्रेम और भक्ति की भावना को दर्शाती है।कहा जाता है कि साल्वे, जो एक मुस्लिम थे, भगवान जगन्नाथ के बहुत बड़े भक्त थे।उस समय मंदिर में गैर-हिंदुओं का प्रवेश वर्जित था, इसलिए साल्वे मंदिर के अंदर नहीं जा पाते थे।हर साल जब रथ यात्रा निकलती थी, तो भगवान जगन्नाथ का रथ साल्वे की मजार के सामने आकर अपने आप रुक जाता था।यह माना जाता है कि साल्वे ने भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना की थी कि जब रथ यात्रा निकले तो रथ उनके पास आकर रुके, ताकि वे भगवान के दर्शन कर सकें।तब से यह परंपरा बन गई है कि रथ यात्रा के दौरान रथ कुछ देर के लिए साल्वे की मजार के सामने रुकता है। यह घटना भगवान जगन्नाथ की अपने सभी भक्तों के प्रति बिना किसी भेदभाव के प्रेम और भक्ति की भावना को दर्शाती है।आज भी रथ यात्रा के दौरान रथ कुछ देर के लिए साल्वे की मजार के सामने रुकता है। यह कथा भगवान जगन्नाथ की अपार महिमा और भक्तों के प्रति उनके प्रेम को दर्शाती है।







